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[५.२] चारित्र
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केवलचारित्र किसी को दिखाई नहीं देता। यह सम्यक् चारित्र दिखाई देता है, जगत् के लोग समझ सकते हैं। लोग सम्यक् चारित्र को खुद की भाषा में समझ जाते हैं और केवलचारित्र पहचाना नहीं जा सकता, दिखाई नहीं देता। वह इन्द्रियगम्य नहीं है, ज्ञानगम्य है। सम्यक् चारित्र इन्द्रियगम्य है।
कषायरहित चारित्र सम्यक् चारित्र है और केवलचारित्र अंतिम प्रकार का चारित्र है।
प्रश्नकर्ता : यथाख्यात चारित्र और केवलचारित्र में क्या अंतर है?
दादाश्री : यथाख्यात चारित्र अर्थात् ज्ञाता-दृष्टा। जैसा है वैसा ज्ञायकपना। यथाख्यात चारित्र के बाद केवलचारित्र है, केवलज्ञान होने के बाद में केवलचारित्र है! अंतिम है वह!