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आप्तवाणी-१३ (उत्तरार्ध)
प्रश्नकर्ता : लगेगी। दादाश्री : फिर अंदर क्या होता है उसे? प्रश्नकर्ता : रोष होता है।
दादाश्री : उससे दुःख होता है, वेदना होती है। जब वेदना होती है उसका मतलब कि द्वेष परिणाम उत्पन्न हुए। जब द्वेष परिणाम उत्पन्न होते हैं तो जो कोई आए उसे गालियाँ देता है। हाँ, भूख लगने पर गालियाँ देता है, उसे काट भी खाता है। अगर कोई खाना लेकर जा रहा हो और उसे नहीं दे तो काट खाता है। तो भूख में ऐसा, प्यास में ऐसा, विषय में ऐसा! विषय एक प्रकार की भूख है। अगर सिनेमा में नहीं जाने दो, उसे भूख लगी हो और नहीं जाने दो तब क्या होगा? द्वेष करेगा या राग?
प्रश्नकर्ता : द्वेष करेगा।
दादाश्री : तो आज द्वेष से ही सारा जगत् खड़ा है। राग को तो बेचारे को कोई परेशानी ही नहीं है। साथ में सात स्त्रियाँ लेकर घूम न यदि तुझे द्वेष नहीं होता है तो!
प्रश्नकर्ता : क्या ऐसा है कि जिसे बहुत भूख लगती है, उसे बहुत द्वेष होता है?
दादाश्री : हाँ, हाँ। कम भूख लगे तो कम द्वेष होता है। जिसने पिछले जन्म में ब्रह्मचर्य के भाव का पालन किया हो, वैसा भाव चार्ज किया हो तो, उसे इस जन्म में ब्रह्मचर्य का उदय आता है। उसका उदय आने के बाद उसे वह भूख नहीं लगती। यानी उसका उस तरफ का द्वेष चला गया। तो उस तरफ से वह वीतद्वेष हो गया। उसी प्रकार जिस-जिस चीज़ की भूख नहीं लगती, उसमें वीतद्वेष हो जाता है।
प्रश्नकर्ता : जब तक शरीर है, तब तक भूख तो लगेगी ही। दादाश्री : नहीं! लेकिन जिसने ब्रह्मचर्य का भाव किया हो उसकी