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लग हो चुका शद्ध चित्त
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अनुक्रमणिका
[1] प्रज्ञा प्रज्ञा की पहचान यथार्थ स्वरूप से... १ ये खोज, प्रज्ञा से या बुद्धि से? ४१ अज्ञा का प्राकट्य?
३ प्रज्ञा सावधान करती है अहंकार... ४२ प्रज्ञा जड़ है या चेतन?
५ दादा का निदिध्यासन करवाए प्रज्ञा ४३ नहीं है वह सम्यक् बुद्धि ६ शुद्ध चित्त, वही शुद्धात्मा! ४४ ज्ञान के बाद अज्ञाशक्ति की स्थिति ८ दादा की प्रज्ञा की अनोखी शक्ति ४७ पंचाज्ञा का पालन करवाने वाला.. ९ समभाव से निकाल में प्रज्ञा का रोल ५० जुदा ही रखे, वह प्रज्ञा १० निश्चय, अज्ञा-प्रज्ञा के
५१ अंदर जो सावधान करता है, वही.. १२ प्रज्ञा में किस प्रकार से रहें तन्मय? ५३ प्रज्ञा से उल्टा कौन चलाता है? १३ प्रज्ञा कौन से भाग को सचेत... ५५ प्रज्ञा और दिव्यचक्षु
१४ भूल के सामने प्रतिभाव किसका? ५५ अज्ञानी को कौन सचेत करता है? १४ प्रज्ञा के परिणाम कौन भोगता है? ५६ पछतावा किसे होता है? १५ दोनों अलग हैं, वेदक और ज्ञायक ५७ विचार और प्रज्ञा बिल्कुल... १७ प्रज्ञा परिषह देखने वाले को थकान कैसी? १८ श्रद्धा व प्रज्ञा की सूक्ष्म समझ
१९ संबंध सूझ और प्रज्ञा के बीच फर्क आसमान-ज़मीन का २० वह है दर्शन, सूझ नहीं है बुद्धि का सुनने में सावधान २२ क्या अज्ञा ही अज्ञान है? प्रज्ञा स्वतंत्र है बुद्धि से! २३ प्रज्ञा न तो रियल है, न ही रिलेटिव ६४ प्रज्ञा की सिर्फ ज्ञानक्रियाएँ २४ भेद, भेदज्ञान और प्रज्ञा में बुद्धि से बड़ी है प्रज्ञा, उससे भी.. २४ ‘ऐसा' करने से बुद्धि मर जाएगी ६६ अध्यात्म में बुद्धि का सहारा २५ शुद्धात्मा, प्रतिष्ठित आत्मा और प्रज्ञा ६७ संसार चलाती है बुद्धि
२७ ज्ञायकता किसकी? क्या सम्यक् बुद्धि और प्रज्ञा एक.. २८ जुगल जोड़ी, जागृति और प्रज्ञा की ६८ सम्यक् बुद्धि में मालिकी भाव २९ अज्ञाशक्ति की जड़
६९ स्थितप्रज्ञ दशा और प्रकट प्रज्ञा ३१ वह नहीं है प्रज्ञा अक्रम में तो बहुत उच्च दशा ३३ दादा की खटपट वाली प्रज्ञा जो नहीं खाता, नहीं पीता और.. ३५ कृपा का रहस्य ।
७१ निन्यानवे तक स्थितप्रज्ञ और प्रज्ञा.. ३६ जगत् कल्याण में अहंकार निमित्त.. ७४ मोह मिटा और हुए स्थिर अचल में ३७ तब तक प्रज्ञा ही ज्ञाता-दृष्टा ७५ जब तक शंका, तभी तक स्थितअज्ञ ३८ ___ ध्याता कौन है और ध्यान किसका? ७७ स्थितप्रज्ञ दशा से आगे
३८ ज्ञान, विज्ञान और प्रज्ञा । अहंकार का स्थान स्थितप्रज्ञ में? ४० बुद्धि से भेद, प्रज्ञा से अभेद फर्क, स्थितप्रज्ञ और वीतराग में ४० अभेदता की प्राप्ति अर्थात् ?
[2.1] राग-द्वेष संसार का रूटकॉज़ - अज्ञान ८२ राग, आसक्ति - परमाणु का... ८५ देहधारी ही बनता है वीतराग ८२ नहीं है शुद्धात्मा को राग-द्वेष ८७ अक्रम में राग-द्वेष रहित दशा ८४ तभी प्राप्त हो सकता है मोक्ष का... ८९
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