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'नहीं है मेरा' कहा, तभी से... ९० राग-द्वेष हैं व्यतिरेक गुण मन के विरोध के सामने... ९० पुद्गल में राग-द्वेष नहीं, वही ज्ञान ९९ महात्माओं में नहीं रहे राग-द्वेष ९१ ज्ञानप्रकाश को नहीं है मूर्छा १०० फिर वह है भरा हुआ माल ९३ जो राग-द्वेष रहित है, वह है... १०१ विषय ग्रंथि छेदन, वहाँ निज... ९४ जितना रोग उतना राग १०२ सौ प्रतिशत, जा चुके हैं राग-द्वेष ९६ राग-द्वेष रहित, वही शुद्ध ज्ञान १०३ लड़ते-करते हैं तो भी वीतराग ९७
__ [2.2] पसंद-नापसंद अहंकार एकाकार हो तभी राग-द्वेष १०५ उपेक्षा से शुरू वीतरागता की राह १०९ नहीं रहे राग-द्वेष, अक्रम विज्ञान.. १०५ उपेक्षा से आगे है उदासीनता ११२ भाए या न भाए तो उसमें... १०६ जहाँ राग-द्वेष, वहाँ यादें दादा की पसंद-नापसंद १०७ फर्क, स्नेह और राग में ११६
[2.3] वीतद्वेष परिभाषा राग-द्वेष की
११८ बच्चे पूर्व जन्म के द्वेष का परिणाम १३२ जेल के प्रति राग होता है? ११८ राग में से द्वेष, द्वेष में से राग १३३ मूलतः द्वेष ही भटकाता है १२० अक्रम विज्ञान ने बनाया वीतद्वेष १३६ द्वेष ही जननी है राग की १२० वीतद्वेष क्यों नहीं?
१३८ पहले द्वेष, सूक्ष्म में
१२१ 'मैं चंदू हूँ' में राग, तो स्वरूप... १३९ और राग में पसंद खुद की १२३ बने वीतद्वेष ज्ञान मिलते ही १३९ चार कषाय ही हैं द्वेष १२४ वीतद्वेष के बाद बचा डिस्चार्ज राग १४० भूख का मूल कारण द्वेष १२७ जिसका अटैक गया वह भगवान... १४१ वह सब है अशाता वेदनीय १३० राग-द्वेष के भोगवटों का अनोखा...१४२ द्वेष ही पहले, बाद में राग १३१ यह है संपूर्ण विज्ञान १४३
[2.4] प्रशस्त राग जो कभी भी भूला न जा सके, वह..१४४ वीतराग के प्रति प्रस्थान १५२ ज्ञानी के लिए बावरापन । १४५ ज्ञानी ही तेरा आत्मा
१५३ प्रशस्त राग, वह स्टेपिंग है १४७ ज्ञान मिलते ही दादा पर राग १५३ प्रशस्त राग और प्रशस्त मोह १४८ प्रशस्त राग ही इस काल में मोक्ष १५४ ज्ञानी की भक्ति, वह शुद्ध लोभ १४८ परमार्थ राग से मिलते हैं ज्ञानी १५५ भगवान ने भी प्रशंसा की है.. १५१
[2.5] वीतरागता राग में वीतराग
१५६ वीतरागता कब और किस प्रकार.. १६० प्रशस्त राग की वजह से नहीं है.. १५७ वीतराग दृष्टि से वीतरागता १६२ समत्व की समालोचना १५७ 'मैं' और 'मेरा' जाने पर वीतराग १६४ उदासीनता से शुरुआत १५८ मुक्त छोड़ दे तेरे शरीर को १६७ दादा देखें विशालता से और... १५९ सम्यक् दर्शन और आत्मसाक्षात्कार १६९
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