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वह शुद्धात्मा है। शुद्धात्मा तो बावा और मंगलदास को ही नहीं बल्कि उनके अंदर के सभी भागों को जानता है ।
बावा जो देखता है वह शुद्धात्मा की वजह से ही देख पाता है । खुद स्वयं ज्ञाता-दृष्टा नहीं है ।
बावा को खत्म करने के लिए क्या करना चाहिए ? यदि बावा के पक्ष में नहीं बैठेंगे तो उसका वंश बढ़ेगा ही नहीं। किसी के अपमान करने पर यदि खुद का रक्षण न करे तो बावा खत्म।
मोक्ष में किसे जाना है ? जो बंधा हुआ है, उसे । जिसे दुःख होता है उसे यानी कि अहंकार को। उसी को मुक्त होना है।
ज्ञानीपुरुष अर्थात् ए.एम. पटेल ? ए. एम. पटेल तो मंगलदास है । ज्ञानीपुरुष तो जो 'आइ' (मैं) डेवेलप होते-होते 'आइ (मैं) रहित' तक डेवेलप हो चुका है, वह है । वही अहम् है । गलत अहम् चला जाए तो वह ज्ञानी बन जाता है । वास्तव में तो दो ही हैं। एक वह जो मोक्ष ढूँढ रहा था (बावा) और दूसरे भगवान, जो मोक्ष स्वरूप ही हैं।
मूल आत्मा तो परमात्मा ही हैं लेकिन इस समसरण मार्ग में व्यवहार में आत्मा डेवेलप होते-होते भगवान महावीर जैसा बन जाता है ! देखो न, यह पुद्गल भी भगवान बन गया !
दादाश्री खुद अपने आपके लिए कहते हैं कि, 'हमारा पुद्गल अभी भी भगवान जैसा नहीं हुआ है । कुछ भूल रह जाती है। अभी भी सभी को मोक्ष में ले जाने के प्रयत्न होते हैं और कभी किसी को भारी शब्द भी कह देते हैं। भगवान के क्या कहीं ऐसे लक्षण होते हैं ? इतना ज़रूर है कि हमारी भूलों का हमें तुरंत पता चल जाता हैं ! हाँ, किसी के लिए एक बाल जितना भी विरोध नहीं रहता'।
यदि मंगलदास का रक्षण करे तो समझ जाना है कि यह बावा का बावा ही रहेगा। हमें 'देखते' ही रहना है उसे ।
जब खुद को निजदोष दिखाई देंगे तभी से बावा खत्म होने लगेगा और भगवान बनने लगेगा !
हम से सामने वाले के प्रति भूल हो जाए तो उसे हमें वापस पलट
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