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पिंडनियुक्ति
सचित्त और मिश्रकी चतुर्भंगी १. सचित्त से पिहित सचित्त देय वस्तु। २. मिश्र से पिहित सचित्त देय वस्तु। ३. सचित्त से पिहित मिश्र देय वस्तु। ४. मिश्र से पिहित मिश्र देय वस्तु।
ये चारों विकल्प अकल्पनीय (अग्राह्य) हैं। सचित्त और अचित्त की चतुर्भगी १. सचित्त से पिहित सचित्त देय वस्तु । २. अचित्त से पिहित सचित्त देय वस्तु। ३. सचित्त से पिहित अचित्त देय वस्तु। ४. अचित्त से पिहित अचित्त देय वस्तु।
इनमें प्रथम तीन विकल्प अकल्पनीय तथा चतुर्थ विकल्प में भजना है। अचित्त और मिश्र की चतुर्भंगी १. मिश्र से पिहित मिश्र देय वस्तु। २. अचित्त से पिहित मिश्र देय वस्तु। ३. मिश्र से पिहित अचित्त देय वस्तु। ४. अचित्त से पिहित अचित्त देय वस्तु ।
इनमें प्रथम तीन विकल्प अकल्पनीय हैं, चतुर्थ विकल्प में भजना है। चतुर्थ विकल्प की चतुभंगी भी इस प्रकार बनती है१. भारी वस्तु से पिहित भारी देय वस्तु। २. हल्की वस्तु से पिहित भारी देय वस्तु। ३. भारी वस्तु से पिहित हल्की देय वस्तु। ४. हल्की वस्तु से पिहित हल्की देय वस्तु।
इस चतुर्भंगी में प्रथम और तृतीय विकल्प में वस्तु अग्राह्य तथा द्वितीय और चतुर्थ भंग में वस्तु ग्राह्य है। इसकी व्याख्या करते हुए टीकाकार कहते हैं कि भारी पदार्थ को उठाने में वस्तु हाथ से छूटने पर पैर आदि के चोट या अंग-भंग संभव है। देय वस्तु यदि भारी है तो उसे उठाकर देना आवश्यक नहीं है,
१.पिनि २५९/१, मवृ प. १५५।
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