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अनुवाद
बालक को क्रीड़ा कराने वाली । बालक को गोद में रखने वाली ।
प्रत्येक के दो-दो प्रकार हैं--करने वाली तथा कराने वाली ।
४. क्रीड़नधात्री ५. अंकधात्री
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१९८. धात्री शब्द की व्युत्पत्ति
बालक को धारण करती है, वह धात्री है।
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जो बालक का पोषण करती है, वह धात्री है।
• बालक जिसको पीते हैं (जिसका स्तनपान करते हैं), वह धात्री है ।
प्राचीन काल में अपने ऐश्वर्य के अनुसार धनाढ्य व्यक्ति पांच प्रकार की धात्रियों की नियुक्ति करते थे।
१९८/१,२. (भिक्षार्थ गया मुनि बालक को रोते हुए देखकर कहता है - ) यह बालक अभी दूध पर आधृत है अतः दूध न मिलने पर रो रहा है। भिक्षाभिलाषी मुझको भिक्षा देकर इसको दूध पिलाओ अथवा ऐसा कहे इसको दूध पिलाकर फिर मुझे भिक्षा दो अथवा मुझे भिक्षा नहीं चाहिए, मैं पुनः भिक्षार्थ आ जाऊंगा। अथवा जो बालक अपमानित नहीं होता है, वह मतिमान्, अरोगी और दीर्घायु वाला होता है । अथवा ऐसा कहे कि संसार में पुत्र का मुख देखना दुर्लभ होता है। तुम इसे दूध पिलाओ अन्यथा मैं इसे दूध दूंगा ।
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१९८/३. साधु के इस प्रकार कहने पर यदि गृहस्वामिनी भद्र है - धर्माभिमुखी है तो वह आधाकर्म जन्य हिंसा आदि करेगी और यदि वह प्रान्त है-धर्म के अभिमुख नहीं है तो उसके मन में प्रद्वेष उत्पन्न हो सकता है। यदि कर्मोदय से वह बालक ग्लान- रोगी हो जाए तो प्रवचन की अवमानना होती है। लोग मुनि को चाटुकारी मानकर उसकी निन्दा करते हैं अथवा गृहस्वामी के मन में साधु के शील के प्रति आशंका पैदा होती है।
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१९८/४-६. धात्रीकरण का दूसरा विकल्प यह है । भिक्षार्थ घर में जाने पर श्रद्धालु स्त्री को धृतिरहित देखकर साधु ने पूछा- 'तुम्हारे दुःख का क्या कारण है ?' उसने कहा- 'जो दुःख में सहायक होता है, उसे कुछ कहा जाता है।' मुनि के पूछने पर उसने कहा- 'आज मेरा धात्रीत्व छीन लिया गया है।' मुनि बोला'मैं नव नियुक्त धात्री की वय, स्तनों की स्थूलता तथा शरीर की कृशता आदि के बारे में नहीं जानता हूं।' सारी बात पूछकर मुनि उस धनाढ्य के यहां जाकर बालक को देखकर बोला- 'लगता है यह कुल अभीअभी ही ऊंचा उठा है अर्थात् सम्पन्न बना है क्योंकि यदि परम्परागत सम्पन्न होता तो परम्परागत धात्री भी कुशल होती। अर्थात् तुम्हारे पूर्वजों को धात्री विषयक ज्ञान नहीं था इसीलिए ऐसी-वैसी धात्री नियुक्त की हुई है। जो कुछ बालक की कुशलता है, वह प्राक्तन पुण्य का ही प्रभाव है, ऐसा मैं बालक को देखकर सूचित कर रहा हूं।
१९८/७. स्थविरा दुर्बल क्षीर वाली होती है, अत्यधिक स्थूल स्तन वाली का दूध पीने से बालक का नाक
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