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पिंडनियुक्ति दिन ऐसा आहार लिया फिर भी मुझे आलोचना करने की बात कह रहे हैं।' इस प्रकार चिन्तन करके प्रद्वेष से वह वसति के बाहर चला गया।
आचार्य के प्रति प्रद्वेष देखकर आचार्य के गुणों के प्रति आकृष्ट एक देवता ने दत्त को शिक्षा देने के लिए वसति में अंधकार कर दिया तथा तेज वायु के साथ वर्षा की विकुर्वणा कर दी। भयभीत होकर उसने आचार्य से कहा-'मैं कहां जाऊं?' तब अति निर्मल हृदय से आचार्य ने कहा-'वत्स! यहां वसति में आ जाओ।' दत्त बोला-'अंधकार के कारण मुझे द्वार दिखाई नहीं दे रहा है।' अनुकम्पा से आचार्य ने श्लेष्म लगाकर अंगुलि को ऊपर किया। वह दीपशिखा की भांति प्रज्वलित हो गई। तब उस दुष्ट चित्त वाले दत्त ने चिन्तन किया-'अहो! आचार्य के पास परिग्रह के रूप में अग्नि भी है।' इस प्रकार चिन्तन करने पर देवता ने उसकी भर्त्सना करते हुए कहा-'हे अधम शिष्य ! इस प्रकार सब गुणों से युक्त आचार्य के बारे में भी तुम इस प्रकार का चिन्तन करते हो।' तब देवता ने मोदक-प्राप्ति की यथार्थ बात शिष्य को बताई। शिष्य के भावों में परिवर्तन हुआ। उसने आचार्य से क्षमा मांगी और सम्यक् रूप से आलोचना की। २७. दूती दोष : धनदत्त कथा
विस्तीर्ण ग्राम के पास गोकुल नामक गांव था। वहां धनदत्त नामक कौटुम्बिक था। उसकी पत्नी का नाम प्रियमति तथा पुत्री का नाम देवकी था। उसी गांव में सुंदर नामक युवक से उसका विवाह हुआ। उसके पुत्र का नाम बलिष्ठ और पुत्री का नाम रेवती था। पुत्री का विवाह गोकुल ग्राम में संगम के साथ हुआ। आयु कम होने पर प्रियमति कालगत हो गई। धनदत्त भी संसार से विरक्त होकर दीक्षा लेकर गुरु के साथ विहरण करने लगा। कालान्तर में ग्रामानुग्राम विहार करते हुए धनदत्त अपनी पुत्री देवकी के गांव में आया। उस समय उन दोनों गांवों में परस्पर वैर चल रहा था। विस्तीर्ण ग्रामवासियों ने गोकुल ग्राम के ऊपर हमला करने की सोची। धनदत्त मुनि गोकुल ग्राम में भिक्षा के लिए प्रस्थित हुआ, तब शय्यातरी देवकी ने कहा-'आप गोकुल ग्राम में जा रहे हैं। वहां अपनी दौहित्री रेवती को कहना कि तुम्हारी मां ने संदेश भेजा है कि यह गांव तुम्हारे गांव के ऊपर दस्यु-दल के साथ प्रच्छन्न रूप से हमला करने आएगा अतः अपने सभी आत्मीयों को एकान्त में सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दो।' साधु ने वह सारी बात रेवती को कह दी। उसने अपने पति को सारी बात बताई। उसने सारे गांव को यह सूचना दे दी। सारा गांव कवच आदि पहनकर युद्ध के लिए तैयार हो गया।
। दूसरे दिन धाटी विस्तीर्ण गांव में पहुंच गई। उन दोनों में युद्ध प्रारंभ हो गया। सुंदर और बलिष्ठ दस्युदल के साथ गए। संगम गोकुल ग्राम में था। वे तीनों युद्ध में काल कवलित हो गए। देवकी ने पति, पुत्र
और जंवाई के मरण को सुनकर विलाप करना प्रारंभ कर दिया। लोग उसे समझाने के लिए आए। उन्होंने कहा-'यदि गोकुल ग्राम में धाटी आने की सूचना नहीं होती तो वे सन्नद्ध होकर युद्ध नहीं करते और न ही तुम्हारे पति आदि की मृत्यु होती। किस दुरात्मा ने गोकुल गांव में सूचना भेजी?' लोगों से इस प्रकार की
१. गा. १९९ वृ प. १२५, १२६, उनि १०७, आवनि ७७८-७७८/२, आवचू भा. २ पृ. ३५, निभा ४३९२-९४ चू पृ. ४०८,
पिंप्रटी प.५२, ५३।
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