Book Title: Agam 41 Mool 02 Pind Niryukti Sutra
Author(s): Dulahrajmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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परि. १९ : शब्दार्थ
३१९
अहिय-अधिक। १४९ आभोग-जानते हुए।
२७० अहिरिअ-निर्लज्ज। ३०२/२ आभोगण-जानकारी।
२१८/१ अहिरीयया-निर्लज्जता। ३०२/४ आमंतण-आमंत्रण।
८२/३ अहुणा-अधुना, अब। १८१/१ आमय-रोग।
२१४/३ अहेकम्म-अध:कर्म, आधाकर्म ६१,६३,६४, आयत्ति-मिश्रित, मिला हुआ। १०२ ___ का पर्याय। ७०,७०/४ आयमण-आचमन।
१९ अहोमुह-अध:मुख। ६४/२ आयर-आदर।
८९/६ आइक्खण-कथन। २१८/१ आयरिय-आचार्य।
२१/२ आइण्ण-आचीर्ण, करने योग्य । १५१ आयहम्म-आत्मघ्न।
७०/६ आउ-आयुष्य। २०४ आयाम-मांड, अवश्रावण ।
७६/५ आउक्काय-अप्काय।
८, १५ आयामग-अवश्रावण, मांड। १९१ आउट्ट-करना।
१३६/६ आयावय-आतापना लेने वाला। १४३/३ आउत्त-उपयुक्त, लगा हुआ। ९६/३ आयाहम्म-आत्मघ्न।
६१,७० आकंपिय-आकृष्ट किया हुआ। २०५ आरओ-पूर्व का, अर्वाक्। आघस-पानी के साथ घिसकर प्रयोग आलाव-आलाप, संलाप । १७३/३ ___ किया जाने वाला सुगंधित द्रव्य। २३१/१ आवज्जग-प्रीति उत्पादक कर्म। २०७ आजीव-आजीवक, श्रमण का
आवडिय-आपतित।
७६/४ एक प्रकार।
२०९ आवण-आपण, दुकान।
१८१ आजीवणा-भिक्षा का एक दोष।
आवत्तणपेढिया-पीठिका विशेष। १६३/७ आणत्त-आज्ञप्त। ७३/१८ आवन्न-प्राप्त।
२३९ आणा-आज्ञा।
२२/१ आवासग-आवश्यक, साधु का आत-आत्मा।
२१९/८
नित्य करणीय अनुष्ठान। ३२३ आतव-आतप, धूप। २२/६ आसंदी-कुर्सी।
१६७ आतावण-आतापना। १४३ आस -१. अश्व,
१९४/१, आदंसघर-आदर्शघर, कांच का महल,
२. मुख।
१५७/४ जिसमें भरत चक्रवर्ती को
आसमक्खिया-अश्वमक्षिका, चतुरिंद्रिय कैवल्य हुआ। २१९/१४
जीव विशेष।
३५ आदाण-गर्भधारण कराना।
आसव–१. मद्य, मदिरा, आदेस-१.आज्ञा,
८३/१, २. आश्रव।
४४/४ २. मत।
१७ आसूय-औपयाचितक, मांगा हुआ। १९४/१ आदेसिय-औद्देशिक दोष का भेद। ९७ आहच्च –कदाचित्।
११७/१ आपिंगल-लाल मिश्रित पीला रंग। २५२/१ आहड-आहृत, लाया हुआ।
१५८ आभागि-भागीदार।
८९/४ आहरण -उदाहरण।
२१५
२३०
४०,
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