Book Title: Agam 41 Mool 02 Pind Niryukti Sutra
Author(s): Dulahrajmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

Previous | Next

Page 461
________________ परि. ८ : प्रयुक्त देशी शब्द २८९ चोलपट्ट–साधु का उपकरण। (वृप. १३) डगलग-पक्की ईंट आदि के टुकड़े-डगलकाःचोल्लग-भोजन-चोल्लकम्-भोजनम्। __पक्वेष्टकानां खण्डानि। (गा. २५ वृप. १७) (गा. १७८ वृप. ११३) डाय-शाक-डायं शाकं। (गा. ११२ वृप. ८४) छगण-गोबर-छगणं-गोमयः। डुंब-महावत-डुंबस्य-मिण्ठस्य। (गा. १६२ वृप. १०५) (गा. १८५ वृप. ११५) छगलग-बकरा। (गा. १४३/२) डाय-शाक __ (गा. ११२) छब्ब-बांस का बना हुआ पात्र विशेष (गा. २५९)। डोय-डोयः-बृहद्दारुहस्तक: महांश्चट्टक इत्यर्थः । छब्बक-बांस का बना हुआ पात्र विशेष। (गा. ११२ वृप. ८४) (वृप. १५५) ढक्कित-ढ़का हुआ। (गा. ७७) छाय-बुभुक्षित-छातो बुभुक्षितः। ढड्डर-तेज आवाज। (गा. १९८/१४) (गा. ३१८/१ वृप. १७७) दिउल्लिका-पुतली। (वृप. ६) छिंडिका-बाड़ का छिद्र। (वृप. १०५) तच्चण्णिय-बौद्ध भिक्षु। (गा. १६६/१) छिक्क-स्पृष्ट, छुआ हुआ। (गा. ८४) • तर–१. समर्थ होना। (गा. २४०/१) छिक्कार-छी-छी की आवाज से अपमानपूर्वक २. कुशल रहना-तरति-क्षेमेण वर्तते। बुलाना। (गा. २१०/४) (गा. १९८/६ वृप. १२३) छित्त-स्पृष्ट। (गा. २४५/२) तरिका-मलाई, पानी आदि के ऊपर जमने वाली छुन्न-क्लीब-छुन्नमुखः-क्लीबमुखः। सतह। (गा. १९८/१४ वृप. १२५) • तिप्प-देना-तेपते क्षरति ददाति स्मेति भावार्थः । छोटि-उच्छिष्टता, जूठन। __ (वृप. १६१) (गा. १३६/६ वृप. ९४) छोट्टि-उच्छिष्टता जूठन। (गा. २८०) • तिम्म-जल से आर्द्र करना। (गा. १६३/२) छोभग-झूठा कलंक। (गा. १९८/९) तूवरी-अरहर की दाल। (गा. २९६) जड्डु-हाथी। (गा. १८४) थक्क-अवसर-यद् अवसरेऽवसरानुरूपमापतति तत्जल्ल-शरीर का मैल। (गा. १३६/१) थक्के थक्कावडियमित्युच्यते । जाउ-दलिया, खाद्य विशेष-जाउ-क्षीरपेया। (गा. ७६/४ वृप. ६४) (गा. २९८ वृप. १६८) थिक्क-स्पृष्ट।। (वृप. ६६) जुंगिय-हाथ पैर आदि अवयव से हीन-जुङ्गिताङ्गेषु • थुण-स्तुति करना। (गा. २२५) च कर्तितहस्तपादाद्यवयवेषु। दंडिणी-राजपत्नी-दंडिन्यौ नृपपल्यौ। (गा. २१०/२वृप. १३१) __ (गा. २३० वृप. १४२) झंख-बार बार कहना-झष वारं वारं जल्प। दद्दर-१. कुतुप आदि का मुखबंध रूप ढक्कन __ (गा. १३२ वृप. ९२) दर्दरकः कुतुपादीनां मुखबंधरूपः । डक्क-सांप के द्वारा डसा हुआ। (गा. १६६/२) (गा. १६४ वृप. १०७) __ (वृप. ९) लंका Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492