Book Title: Agam 41 Mool 02 Pind Niryukti Sutra
Author(s): Dulahrajmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

Previous | Next

Page 486
________________ ३१४ पिंडनियुक्ति रुक्मिणी _ (रानी) (३३) रेवती (पुत्री) (१२७) लक्ष्मी (महिला) (१००) वक्रपुर (नगर) (७१) वत्सराज (ग्वाला) (१११) वसुंधरा (महिला) (१०९) वसुमती (महिला) (१०८) वारत्तपुर (नगर) (१६९) वारत्रक (मंत्री) (१६९) विजितसमर (राजकुमार) (४७) विश्वकर्मा (नट) (१३७) विशालशृंग (पर्वत) (१४६) विष्णुमित्र (कौटुम्बिक) (१३४) विस्तीर्ण (ग्राम) (१२७) वेन्ना (नदी) (१४४) व्याख्याप्रज्ञप्ति (ग्रंथ) (४१) शतमुख (नगर) (७४) शालिग्राम (गांव) (९७, ७२) शिवदेव (श्रेष्ठी ) (९९) (महिला) (९९) शीतलक (महामारी) (८३) शीला (रानी) (४७) श्रीनिलय (नगर) (४९) श्रीपर्णी (फल) (३१) श्रीमती (महिला) (७८) श्रीस्थलक (नगर) शृंगारमति (रानी) (१४५) संकुल (गांव) (६३) संगम (व्यक्ति) (१२७) संगम (आचार्य) (१२५) १६ 88 83 8888 88 ka aakirs संयुग समित समिल्लं समुद्रघोष सम्मत सम्मति समृद्ध सागरदत्त सारिका सिंधुराज सिंह सिंह सिंहरथ सुंदर सुंदरी सुदर्शना सुदर्शना सुरदत्त सुरूप सुरूप सुलोचना सुव्रत सुस्थित सूर्योदय सौदास सौराष्ट्र सौवीरक (नगर) (१४५) (आचार्य) (१००, १४४) (नगर) (८३) (आचार्य) (९९) (पुत्र) (९८) (पुत्री) (९९) (शिष्य) (१४३) (श्रेष्ठी) (७८) (महिला) (९८) (राजा) (१४५) (आचार्य) (१३४) (शिष्य) (१२५) (राजा) (१३७) (युवक) (१२७) (भार्या) (१४४, १००) (रानी) (३०) (महिला) (१००) (गृहपति) (१०९) (राजकुमार) (३३) (वणिक्) (४९) (महिला) (१३४) (साधु) (१३९) (आचार्य) (१४३) (उद्यान) (७६) (व्यक्ति) (७१) (जनपद) (५५) (खाद्य-विशेष) (१६७) (सन्निवेश) (३१) (नगर) (१३४) (पर्वत) (७४) शिवा हरन्त हस्तकल्प हिमगिरि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 484 485 486 487 488 489 490 491 492