Book Title: Agam 41 Mool 02 Pind Niryukti Sutra
Author(s): Dulahrajmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
________________
परि. ८ : प्रयुक्त देशी शब्द
२८७
उब्भट्ठ-मांग करना-उब्भट्ठ त्ति केनापि साधुना कढिय-कढ़ी।
(गा. २९७) कस्याश्चिदगारिण्याः सकाशे क्षीरमभ्यर्थितम्। कप्पट्ठय-बालक-कप्पट्ठओ बालकः। (गा. १२८/२)
(गा. १३३ वृप. ९२) उल्ल-आर्द्र। (गा. ११) कप्पट्ठिगा-बालिका।
(गा. २७२) उल्लण-छाछ से गीला किया हुआ ओदन, खाद्य- कप्पट्ठी-छोटी लड़की। (गा. १३१) विशेष-येनौदनमार्दीकृत्योपयुज्यते। कब्बट्ठी-छोटी लड़की-समयपरिभाषया 'कब्बट्ठी'
(गा. २९७ वृप. १६८) लघ्वी दारिका भण्यते। (वृप. ९१) • उल्लिंच'-बाहर निकालना। (गा. १९२/४) करडुय-मृतकभोज-करडुयभक्तं-मृतकभोजनम्। उव्वरित-शेष बचा हुआ। (गा. ३०८)
(गा. २१८/१ वृप. १३४) उसुक-एक प्रकार का आभूषण, तिलक-इषुकः कामगद्दभ-काम में अति प्रवृत्त। (गा. २०९/१) इषुकाकारमाभरणम्, अन्ये तिलकमित्याहुः। काय-कापोती, कांवड़-काय:-कापोती यया पुरुषाः
(गा. १९८/१३ वृप. १२४) स्कन्धारूढया पानीयं वहन्ति। उस्सक्कण-आगे करना-उत्ष्वष्कणं परत: करणम्।
(गा. ६१/१ वृप. ३६) (गा. १३१ वृप. ९१) कुक्कुडि-• माया-कुक्कुट्या मायया चरन्ति। एण्हि -अब। (गा. ३०२/५)
(गा. १३६/६ वृप. ९४) एत्ताहे-अब।
(मवृ प. ९८) • गला-गल एव कुक्कुटिः ।(वृप. १७३) ओसक्कण-पीछे करना-अवष्वष्कणं स्वयोगप्रवृत्त- • शरीर-शरीरमेव कुक्कुटी। (वृप. १७३) नियतकालावधेरर्वाक्करणम्। कुणिम-मांस। (गा. ८६ वृप. ७१)
(गा. १३१ वृप. ९१) कुसण-दही और चावल से बना हुआ करम्बा, ओहार-कच्छप-ओहारे त्ति कच्छपः।
खाद्य-विशेष। (गा. १२८/३) (गा. १५४ वृप. १०२) कुसुणित-दही और चावल से बना हुआ करम्बा, कक्कडिय-ककड़ी।
(गा. ७८) ___ खाद्य विशेष-कुसुणितमपि करम्बादिकक्कब-गुड़ बनाते समय इक्षुरस की एक रूपतया कृतम्। (वृप. ९१)
अवस्था, इक्षुरस का विकार। (गा. १२९) कूविय-चोर की खोज करने वाला, न्यायकर्ताकट्टर-कढ़ी में डाला हुआ घी का बड़ा-कट्टरस्य कूजकाः-व्यवहारकारिणः। तीमनोन्मिश्रघृतवटिकारूपस्य देशविशेष
(गा. ६८७ वृप. ४७) प्रसिद्धस्य। (गा. ३०५ वृप. १७२) कोत्थलक-थैला, दृति-कोत्थलकापरपर्यायो दृतिः । कडिल्ल-कड़ाही, लोहे का बड़ा पात्र। .
(वृप. १८) (वृप. १६१) खउरिय-कलुषित।
(गा. १३६/१) कडिल्लक-कड़ाही, लोहे का बड़ा पात्र। खंत-पिता-खन्तस्य-पितुः। (वृप. १५८)
(गा. २०१/३ वृप. १२७)
१. प्रस्तुत परिशिष्ट में देशी धातुओं के प्रारंभ में हमने बिन्द का चिह्न दिया है।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492