Book Title: Agam 41 Mool 02 Pind Niryukti Sutra
Author(s): Dulahrajmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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परि. ५ : तुलनात्मक संदर्भ
२७९
३३ बिय-तिय-चउरो पंचिंदिया ओनि ३६५ ३१४/२ रागग्गिसंपलित्तो जीभा १६४८ ३४ बेइंदियपरिभोगो
ओनि ३६६ ३१५ रागेण सइंगालं तु.जीभा १६५३ २६७ भज्जंती व दलेंती जीभा १५७१ २१९/९ रायगिहे धम्मरुई जीभा १३९८ २१४ भणति य नाहं वेज्जो निभा ४४३३ २१९/१२ रायगिहे य कदाई जीभा १४०५ १९४/३ भावे पसत्थ इतरा जीभा १३१७ २२० लब्भंतं पि न गिण्हति जीभा १४१३ २१४/१ भिक्खादि गते रोगी निभा ४४३४ १७९/२ लाभित णितो पुट्ठो निभा ४५१९ २०१/१ भिक्खादी वच्चंते निभा ४३९९, भा.२९ लेवालेव त्ति जं वुत्तं जीभा १२९९
जीभा १३२७ २१०/१ लोगाणुग्गहकारिसु निभा ४४२३, २८८/१ भिक्खामत्ते अवियालणा ओनि ४६९
जीभा १३७१ १४४/३ भिक्खुदग समारंभे निभा ४४८९ ७७ लोणागडोदए एवं जीभा ११५२ १६६ भिक्खू जहण्णगम्मी निभा ५९५० १९८/११ लोलति महीय धूलीय निभा ४३८७ भा.३६ भिक्खे परिहायंते तु.जीभा १४५३ १४२ वइयादि मंखमादी निभा ४४७७ २०९/१ भुंजंति चित्तकम्मट्ठिता जीभा १३६८, ८०/३ वड्डति हायति छाया जीभा ११७०
निभा ४४२१ ८३/४ वड्डेति तप्पसंगं जीभा ११८७ १९८/२ मइमं अरोगि दीहाउओ निभा ४३७८ १९८/५ वय-गंडथुल्लतणुगत्तणेहि निभा ४३८१ १४५ मइलिय फालिय-खोसिय निभा ४४९१ २१७ विज्जा-तवप्पभावं निभा ४४४० १३५/१ मंगलहेतुं पुण्णट्ठया जीभा १२३६२२७ विज्जामंतपरूवण
निभा ४४५६ २४५/२ मंस वस-सोणियासव तु.जीभा १५०४ २५२/१ विज्झाउ त्ति न दीसति जीभा १५३० २६२ मत्तेण जेण दाहिति तु.जीभा १५५८ २५२ विज्झात मुम्मुरिंगा..... जीभा १५२९ २०८/१ मयमातिवच्छगं पि व जीभा १३६५, २२६/१ विमलीकयऽम्ह चक्खू जीभा १४३५, निभा ४४१९
निभा १०४९ १३२ मा ताव झंख पुत्तय जीभा १२३१ ५४ वियमेतं कुरंगाणं ओनि ४५२ २२२ माति-पिति पुव्वसंथव निभा १०४१ ५५ वियमेतं गजकुलाणं ओनि ४५४ २२४ मायावी चडुकारी निभा १०४५ ३१८ वेदण-वेयावच्चे
जीभा १६५८, १६५ मालोहडं पि दुविधं तु.निभा ५९४९,
ठाणं ६/४१, जीभा १२७१
उत्त २६/३२, जीभा १३६९,
प्रसा ७३७, २१० मिच्छत्तथिरीकरणं
ओनि ५८०, निभा ४४२२
तु.मूला ४७९, ३०९ रसहेतुं पडिसिद्धो जीभा १६१८
पंव ३६५
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