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पिंडनियुक्ति
२५३/२. पार्श्व में मिट्टी से अवलिप्त कड़ाह, अनतिउष्ण इक्षुरस, अपरिशाटि (बिना गिराया जाता) इक्षु रस तथा अघटुंत'-इन चार पदों के आधार पर सोलह विकल्प होते हैं। इनमें प्रथम विकल्प की अनुज्ञा है, शेष की नहीं। २५३/३. (गाथा २५३/२ में जो चार पद बने हैं) इनके भंगों का मान निकालने के लिए (चार) पदों के द्विकों का अभ्यास (गुणन) करना चाहिए। सोलह भंगों की रचना इस प्रकार होगी-(चार-चार पदों १. अघटुंत का तात्पर्य है-वस्तु निकालते समय पिठर के ऊपरी भाग का स्पर्श न करना। २. ग्रंथकार ने पार्वावलिप्त, अनत्युष्ण, अपरिशाटी और अघटुंत-स्पर्श नहीं करना- इन चार पदों के आधार पर १६ भंगों की रचना की है। टीकाकार ने इन भंगों की रचना इस प्रकार की है
१. प्रथम पंक्ति में एकान्तरित लघु गुरु करते हुए सोलह भंग। २. द्वितीय पंक्ति में दो लघु दो गुरु करते हुए सोलह भंग। ३. तृतीय पंक्ति में पहले चार लघु फ़िर चार गुरु, पुनः चार लघु और चार गुरु।
४. चतुर्थ पंक्ति में पहले आठ लघु फिर आठ गुरु। इनकी स्थापना इस प्रकार होगी
ISISISISISISIS IS IIS SIISSIISS 11 SS ।।। Issss ।। ।। ssss
11! IIIII SS SS SS SS चारों पंक्तियों में नीचे से ऊपर चलते हुए बांयी ओर से एक-एक भंग को उठाने से सोलह भंगों की रचना इस प्रकार होगी(१.) ।। ।। (२.) ।।। (३.) |15। (४.) | ISS (५.) । ।। (६.) IS IS (७.) । (८.) Isss (९.)s।।। (१०.)SIS (११.) SISI (१२.)S ISS (१३.)ss || (१४.)SSIS (१५.) sss। (१६.)sssss इनमें सीधी रेखा वाले अंश शुद्ध तथा s आकार वाले अंश अशुद्ध हैं। इन सोलह भंगों में प्रथम भंग अनुज्ञात है। शेष १५ भंग अकल्य्य हैं। चार पदों के आधार पर भंगों का चार्ट इस प्रकार प्रस्तुत किया जा सकता हैपाश्र्वावलिप्त
अनत्युष्ण
अपरिशाटी अघट्टितकर्ण lis
पाश्र्वावलिप्त अनत्युष्ण अपरिशाटी घट्टितकर्ण IISI पार्वावलिप्त अनत्युष्ण 'परिशाटी
अघट्टितकर्ण TISS पार्वावलिप्त अनत्युष्ण
परिशाटी घट्टितकर्ण ISI! पार्वावलिप्त अत्युष्ण
अपरिशाटी अघट्टितकर्ण IS IS पाश्र्वावलिप्त
अत्युष्ण
अपरिशाटी घट्टितकर्ण Iss पाश्र्वावलिप्त अत्युष्ण
परिशाटी
अघट्टितकर्ण ISSS पाश्र्वावलिप्त अत्युष्ण परिशाटी
घट्टितकर्ण SI11 अनवलिप्त
अनत्युष्ण अपरिशाटी अघट्टितकर्ण SIIS अनवलिप्त
अनत्युष्ण अपरिशाटी घट्टितकर्ण SISI अनवलिप्त अनत्युष्ण परिशाटी
अघट्टितकर्ण SISS अनवलिप्त अनत्युष्ण परिशाटी
घट्टितकर्ण SSI! अनवलिप्त
अत्युष्ण
अपरिशाटी अघट्टितकर्ण SSIS अनवलिप्त
अत्युष्ण
अपरिशाटी घद्रितकर्ण SSSI अनवलिप्त
अत्युष्ण परिशाटी
अघट्टितकर्ण SSSS अनवलिप्त
अत्युष्ण परिशाटी
घट्टितकर्ण
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