Book Title: Agam 41 Mool 02 Pind Niryukti Sutra
Author(s): Dulahrajmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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परि. २ : पदानुक्रम
२२७
२३६/२
१९२/२
१४४/१
२४०
९१/३
१५६/१
६९/४
२३१/१
९१/१
७३/१७
१४२/१
१३६/६
२१९/६ १९२ २८८८ २४३/३ ११७/३
६८/९
१७४
८९/१ ८२/१
सयमेवालोएउं सवलय घण-तणुवाया सव्वो वणंतकाओ सहसा पविट्ठ दिट्ठा साउं पज्जत्तं आदरेण सा उ अविसेसितं चिय साग जइ वीसऽभिग्गह सागारि मंख छंदण साधुगुणेसणकहणं सामत्थण रायसुते सामी चारभडा वा साली-ओदण हत्थं साली-घत-गुल-गोरस सालीमादी अगडे साहम्मऽभिग्गहेणं साहारणं बहूणं सिझंतस्सुवकारं सिति-अवणण पडिलाभण सी-उण्ह-खार-खत्ते सीते दवस्स एगो सीतो उसिणो साहारणो सीवण्णिसरिसमोदग......... सुइ-भद्दगदित्तादी सुक्केण वि जं छिक्कं सुक्केण सरक्खेणं सुक्के सुक्कं पडितं सुक्के सुक्कं पढमो
सुक्कोल्ल सरिसपाए सुतअभिगमणातविधी सुत्तस्स अप्पमाणे सुन्नं व असति कालो सूभगदोभग्गकरा सूरोदयं गच्छमहं पभाते सेडंगुलि बगुड्डावे सेसा विसोधिकोडी. सेसेसु य पडिवक्खो सेसेहि उ काएहिं सेसेहि उ दव्वेहिं सो एसो जस्स गुणा सोलस उग्गमदोसा सोलस उग्गमदोसे सोवीर-गोरसासव हत्थंदुनिगलबद्ध हत्थकप्प-गिरिफुल्लिय हत्थसयं खलु देसो हत्थसयमेग गंता हत्थिग्गहणं गिम्हे हरितादी ऽणंतरिया हियएण संकितेणं हिययम्मि समाहेउं हियाहारा मियाहारा होति पभू घरभाणे होमादऽवितहकरणे
२२५/१ ३२२ १९३
७३/११
४०
२८६
२६६
११३
२१६
२१९/८
१५९ २७/२ ५४/१
२५५
१२, १८ ३१३/४ ३१३/३ ५३/२ २८८/३ भा. २८ २४३/१
२४०/२
भा. १८ ३१३
१७३/१
१९२/३
२०७/१
२६३/१
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