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पिंडनियुक्ति
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२१९/६. सेडंगुलि' बगुड्डावे, किंकरे तत्थ हायए'।
गिद्धावरिंखि 'हद्दण्णए य"५ 'पुरिसाऽधमा छा तु५॥ ४७१ ॥ २१९/७. जायसु न एरिसो हं, इट्टग' मम देहि पुव्वमइगंतुं ।
माला उत्तारि गुलं११, भोएमि 'दिए त्ति आरूढा'१२ ॥ ४७२ ॥ २१९/८. सिति-अवणण'३ पडिलाभण, दिस्सितरी बोल मंगुली५ नासं।
दोण्हेगतरपदोसे, आतविवत्ती'६ य उड्डाहो ॥ ४७३ । २१९/९. रायगिहे धम्मरुई१८, 'असाडभूति त्ति'१९ खुड्डुओ तस्स।
रायनडगेहपविसण, संभोइय मोदगे लंभो० ॥ ४७४ ॥ २१९/१०. आयरिय-उवज्झाए, संघाडग-काण-खुज्ज तद्दोसी।
नडपासणपज्जत्तं, निकायण दिणे दिणे दाणं२१ ॥ ४७५ ।। २१९/११. धूयदुगं२२ संदेसो, दाणसिणेहकरणं रहे गहणं२३ ।
लिंगं मुयति गुरुसिट्ठ, वीवाहे २४ 'उत्तमा पगई '२५ ॥ ४७६ ॥ १. सेलंगुलि (ला, ब, स), सेयंगुलि (क, मु)। २०. लाभो (अ, बी), २१९/९ गाथा में मायापिंड से २. वग्गुडावे (निभा ४४५१)।
सम्बन्धित कथा का प्रारंभ होता है। यह शोध का तित्थ पहायए चेव (निभा, ला, ब),
विषय है कि जब नियुक्तिकार ने क्रोधपिंड के लिए ण्हायए तहा (मु), “हावए (क)।
दो तथा मान और लोभ पिण्ड को स्पष्ट करने के गद्धा' (अ, बी, निभा), वरिंखिया (ला, ब)।
लिए एक-एक गाथा का उल्लेख किया है फिर ५. हद्दणए उ (अ, बी)।
माया को स्पष्ट करने के लिए उन्होंने गाथा क्यों ६. “सा महत्था उ (अ, बी), इन छहों कथा के नहीं लिखी? इस संदर्भ में निम्न विकल्प प्रस्तुत
विस्तार हेतु देखें परि. ३, कथा सं. ३१-३६ । किए जा सकते हैं७. जाइसु (अ, ला)।
• लेखन में लिपिकारों द्वारा वह गाथा छूट गई हो। . इट्टागा (ला, ब), इट्टगा (मु, निभा, क)।
• अथवा नियुक्तिकार को मायापिंड स्पष्ट करने ९. एहि (अ, बी)।
की अपेक्षा नहीं लगी। १०. "मितिगंतुं (स)।
निभा में केवल क्रोध और मान के स्वरूप एवं ११. गुलं तु (ला)।
उनसे संबंधित कथाओं वाली गाथाएं हैं। माया और १२. दिए तइ दुरूढा (निभा ४४५२), 'इति रूढा (स)।
लोभ से संबंधित न गाथा है और न ही चूर्णि में १३. 'णय (ला, ब, स)।
व्याख्या है। जीतकल्प भाष्य में क्रोधपिंड आदि से १४. दिस्स' (अ, बी)।
संबंधित कथाओं का विस्तार है लेकिन इनका स्वरूप १५. अंगुली (निभा)।
प्रकट करने वाली गाथाएं नहीं हैं। १६. "वियत्ती (ला, ब)।
२१. तु. जीभा १३९९। १७. उभए य (निभा ४४५३), कथा के विस्तार हेतु २२. 'दुए (मु)। देखें परि. ३, कथा सं. ३७।
२३. करणं (अ, बी)। १८. धम्मरुयी (जीभा १३९८)।
२४. विवाहे (मु)। १९. भूई य (क, मु), 'भूती तु (जीभा)। २५. उत्तमप्पगिही (ला, ब, स)।
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