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पिंडनियुक्ति
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परिणाम के आधार पर शुद्धि और अशुद्धि। २४२-२४५/२ म्रक्षित के भेद-प्रभेद तथा उनका विवरण। २४६-५५ निक्षिप्त के भेद-प्रभेद एवं उनकी व्याख्या। २५६-२५९/१ पिहित की चतुर्भंगी एवं उसके भेदों की व्याख्या। २६०-२६४/१ संहत दोष की व्याख्या, उसकी चतुभंगी एवं दोष । २६५-७० वर्जनीय दायक के चालीस प्रकार। २७१ दायकों में भजना एवं विकल्प का निर्देश। २७२-८८ बालक, स्थविर, उन्मत्त आदि वर्जनीय दायक के हाथ से भिक्षा लेने के दोष। २८८/१-८ इन दायकों से भिक्षा लेने का अपवाद । २८९, २९० उन्मिश्र की चतुर्भंगी एवं व्याख्या। २९१ संहत और उन्मिश्र में भेद। २९१/१ उन्मिश्र की चतुर्भंगी के चतुर्थ भंग में भजना। २९२-९५ अपरिणत द्वार के भेद-प्रभेद एवं उनकी व्याख्या। २९५/१-१० लिप्त द्वार के संबंध में जिज्ञासा एवं समाधान। २९६-९८ अलेप, अल्पलेप तथा बहुलेप पदार्थों का निर्देश। २९९ संसृष्ट हाथ और पात्र से संबंधित आठ भंग। ३०० छर्दित की चतुर्भंगी। ३०१ छर्दित ग्रहण के दोष तथा मधुबिन्दु का दृष्टान्त। ३०२-३०२/५ ग्रासैषणा के निक्षेप तथा द्रव्य ग्रासैषणा में मत्स्य का दृष्टान्त । ३०३, ३०३/१ भाव ग्रासैषणा के भेद-प्रभेद। ३०४-०७ संयोजना दोष के भेद एवं उनकी व्याख्या। ३०८, ३०९ द्रव्य संयोजना के अपवाद। ३१०
आहार का प्रमाण। ३११
यात्रामात्राहार का प्रमाण तथा अवम आहार। ३१२-३१२/३ आहार-प्रमाण के दोष एवं उनकी व्याख्या। ३१३ हिताहार की फलश्रुति। ३१३/१ अहित-आहार का विवरण। ३१३/२ मित-आहार का विवरण। ३१३/३-६ शीत आदि काल की अपेक्षा आहार का प्रमाण। ३१४-१६ अंगार और धूम दोष की व्याख्या। ३१७-३१८/२ आहार करने के छह कारण। ३१९-२१ आहार न करने के छह कारण। ३२२ त्रिविध एषणा के ४२ दोष । ३२३ आहार-विधि की फलश्रुति।
सुविहित मुनि का अपवाद-सेवन भी निर्जरा का हेतु।
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