Book Title: Kasaypahudam Part 09
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatvarshiya Digambar Jain Sangh
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गा ०५८ ]
उत्तरपयभागसंकमे णाणाजीवेहि कालो
* णाणाजीवेहि कालो ।
९ २२८. सुगमं ।
* मिच्छत्तस्स उक्कस्साणुभागसंकामया केवचिरं कालादो होंति ?
२२. सुगमं ।
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* जहणणेण अंतोमुहुत्तं ।
§ २३०. तं कथं १ सत्तट्ठ जणा बहुगा वा बद्धकस्सारणुभागा सव्त्रजहणमंतोमुहुत्तमेत्तकालं संक्रामया होतॄण पुणो कंडय घादवसेणाणुकरसभावमुत्रगया, लद्धो सुत्तद्दिजहण्णकालो । * उक्कस्सेण पलिदोवमस्स असंखेज्जदिभागो ।
श्रसंख्यातवें भाग, त्रस नालीके चौदह भागों में से कुछ कम आठ भाग और सब लोकका स्पर्शन किया है तथा अनुत्कृष्ट अनुभाग के संक्रामक जीवोंने सब लोकका स्पर्शन किया है । सम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्व के उत्कृष्ट अनुभाग के संक्रामक जीवोंने लोकके असंख्यातवें भाग, त्र्सनालीके चौदह भागों से कुछ कम आठ भाग और सब लोकका स्पर्शन किया है तथा अनुत्कृष्ट अनुभाग के संक्रामक जीवोंने लोक संख्यातवें भाग क्षेत्रका स्पर्शन किया है। यह श्रघप्ररूपणा है । इसी प्रकार विचार कर प्रदेशसे जान लेना चाहिए। जघन्यका प्रकरण है । निर्देश दो प्रकारका है - और आदेश ।
संक्रामक जीवोंने संक्रामक जीबने
से मिथ्यात्व और मध्यकी आठ कृपायोंके जघन्य और अजघन्य अनुभागके संक्रामक जीवोंने सब लोकका स्पर्शन किया है । सम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्त्र के जवन्य अनुभाग के लोकके असंख्यातवें भाग क्षेत्रका स्पर्शन किया है तथा जघन्य अनुभाग के लोकके असंख्यातर्वे भाग, त्रसनालीके चौदह भागों में से कुछ कम आठ भाग और स्पर्शन किया है। शेष प्रकृतियों के जघन्य अनुभागके संक्रामक जीवोंने लोकके असंख्यातवें भाग तथा अजघन्य अनुभागके संक्रामक जीवोंने सब लोकका स्पर्शन किया है। यह प्रकार विचार कर आदेशसे जान लेना चाहिए ।
सब लोक क्षेत्रका
प्ररूपणा है । इसी
* अब नाना जीवोंकी अपेक्षा कालका कथन करते हैं ।
९ २२८. यह सूत्र सुगम है ।
* मिथ्यात्यके उत्कृष्ट अनुभाग के संक्रामक जीवोंका कितना काल है ?
६ २२६. यह सूत्र सुगम है ।
* जघन्य काल अन्तर्मुहूर्त है ।
६२३० शंका - वह कैसे ?
समाधान - सात आठ या बहुत जीव उत्कृष्ट अनुभागका बन्ध करनेके बाद सबसे जघन्य अन्तर्मुहूर्त काल तक उसके संक्रामक हुए। बाद में काण्डकघातवश अनुत्कृष्ट अनुभाग के संक्रामक हो गये । इस प्रकार सूत्रमें निर्दिष्ट जघन्य काल प्राप्त होता है ।
* उत्कृष्ट काल पल्यके असंख्यावें भागप्रमाण है ।
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