Book Title: Kasaypahudam Part 09
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatvarshiya Digambar Jain Sangh
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पा० ५८] उत्तरपयडिपदेससंकमे सामित्त
१८५ अधट्ठिदिगलणाए गुणसेढिणिजराए गुणसंकमेण च गदासेसदव्वस्स तदसंखेजदिभागपमाणत्तादो।
* पुरिसवेदस्स उक्कस्सो पदेससंकमो कस्स ? ६४७. सुगमं।
* गुणिदकम्मंसिओ इत्थि-पुरिस-णवंसयवेदे पूरेदूण तदो सव्वलहुं खवणाए अब्भुहिदो पुरिसवेदस्स अपच्छिमहिदिखंडयं चरिमसमयसंछुहमाणयस्स तस्स पुरिसवेदस्स उक्कस्सो पदेससंकमो।
६४८. एदस्स सुत्तस्सत्थे भण्णमाणे विहत्तिसामित्तसुत्ताणुसारेण वत्तव्यं, तिवेदपूरिदकम्भंसियम्मि सामित्तविहाणं पडि तत्तो एदस्स विसेसाभावादो। णवरि णqसयवेदं पक्खिविदूण जम्मि इत्थिवेदो पुरिसवेदस्सुपरि पक्खित्तो तदवत्थाए विहत्तिसामित्तं जादं । एत्थ पुण णवंसय-इत्थिवेदसव्यसंकमं पडिच्छिऊणंतोमुहुत्तादीदेण जन्मि समए पुरिसवेदचरिमफाली सव्वसंकमेण छण्णोकस एहि सह कोहसंजलणे पक्खित्ता ताधे पुरिसवेदुकस्सपदेससंकमसामित्तमिदि एसो एत्थतणो विसेसो । जण्णं च परोदएणेव सामित्तमेत्थ गहेयव्वं, सोदएण दीहयरपढमट्ठिदिम्मि गुणसेढीए बहुदव्यहाणिप्पसंगादो।
* एqसयवेदस्स उक्कस्सो पदेससंकमो कस्स ?
किया गया द्रव्य है ऐसा ग्रहण करना चाहिए, क्योंकि अधःस्थितिगलना, गुणश्रेणिनिर्जरा और गुणसंक्रमके द्वारा गया हुआ समस्त द्रव्य उसके असंख्यातवें भागप्रमाण होता है।
* पुरुषवेदका उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रम किसके होता है ? ६४७. यह सूत्र सुगम है।
* कोई एक गुणितकमांशिक जीव स्त्रीवेद, पुरुषवेद और नपुसकवेदको पूरण करके अनन्तर अतिशीघ्र क्षपणाके लिए उद्यत हुआ । पुनः पुरुषवेदके अन्तिम स्थितिकाण्डकका अन्तिम समयमें संक्रम करनेवाले उस जीवके पुरुषवेदका उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रम होता है।
६४८. इस सूत्रके अर्थका कथन करने पर वह अनुभागविभक्तिके स्वामित्वसूत्रके अनुसार कहना चाहिये, क्योंकि जिसने तीन वेदोंको पूरण किया है ऐसा कमांशिक जीव स्वामी है इस दृष्टिसे उससे इसमें कोई भेद नहीं है । किन्तु इतनी विशेषता है कि नपुंसकवेदको संक्रमित कराके जहाँ स्त्रीवेद पुरुषवेदके ऊपर प्रक्षिप्त होता है उस अवस्थामें अनुभागविभक्तिसम्बन्धी स्वामित्व प्राप्त हुआ है । परन्तु यहाँ पर नपुंसकवेद और स्त्रीवेदका सर्वसंक्रम करके अन्तर्मुहूर्तके बाद जिस समय पुरुषवेदकी अन्तिम फालि सर्वसंक्रमके द्वारा छह नोकषायोंके साथ क्रोधसंज्वलनमें प्रक्षिप्त होती है उस समय पुरुषवेदके उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रमका स्वामित्व होता है इतनी यहाँ पर विशेषता है। दूसरी विशेषता यह है कि यहाँ पर परोदयसे ही स्वामित्व ग्रहण करना चाहिए, क्योंकि स्वोदयसे प्रथम स्थितिके अपेक्षाकृत बड़ी होनेपर गुणश्रेणिके द्वारा बहुत द्रव्यकी हानिका प्रसङ्ग आता है।
* नसकवेदका उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रम किसके होता है ?
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