Book Title: Kasaypahudam Part 09
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatvarshiya Digambar Jain Sangh
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गा०५८]
उत्तरपयडिपदेससंकमे संकमट्ठाणाणि ॐ रवोए पदेससंकमट्ठाणाणि विसेसाहियाणि । 8 इथिवेदे पदेससंकमट्ठाणाणि संखेज्जगुणाणि ।
सोगे पदेससंकमट्ठाणाणि विसेसाहियाणि । ॐ अरदोए पदेससंकमट्ठाणाणि विसेसाहियाणि ।
वुसयवेदे पदेससंकमट्ठाणाणि विसेसाहियाणि । ॐ दुगुंछाए पदेससंकमट्ठाणाणि विसेसाहियाणि । ॐ भए पदेससंकमट्ठाणाणि विसेसाहियाणि । 8 पुरिसवेदे पदेससंकमट्ठाणाणि विसेसाहियाणि ।
माणसजलणे पदेससंकमट्ठाणाणि विसेसाहियाणि । * कोहसंजलणे पदेससंकमाणाणि विसेसाहियाणि । * मायासंजलणे पदेससकमट्ठाणाणि विसेसाहियाणि ।
लोहसंजलणे पदेससंकमट्ठाणाणि विसेसाहियाणि । * सम्मत्ते पदेससंकमट्ठाणाणि अणंतगुणाणि । * सम्मामिच्छत्ते पदेससंकमट्ठाणाणि असंखेनगुणाणि ।
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* उनसे रतिमें प्रदेशसंक्रमस्थान विशेष अधिक हैं। * उनसे स्त्रोवेदमें प्रदेशसंक्रमस्थान संख्यातगुणे हैं। * उनसे शोकमें प्रदेशसंक्रमस्थान विशेष अधिक हैं। * उनसे अरतिमें प्रदेशसंक्रमस्थान विशेष अधिक हैं । * उनसे नपुंसकवेदमें प्रदेशसंक्रमस्थान विशेष अधिक हैं। * उनसे जुगुप्सामें प्रदेशसंक्रमस्थान विशेष अधिक हैं। * उनसे भयमें प्रदेशसंक्रमस्थान विशेष अधिक हैं । * उनसे पुरुषवेदमें प्रदेशसंक्रमस्थान विशेष अधिक हैं। * उनसे मानसंज्वलनमें प्रदेशसंक्रमस्थान विशेष अधिक हैं। * उनसे क्रोध संज्वलनमें प्रदेशसंक्रमस्थान विशेष अधिक हैं। * उनसे मायासंज्वलनमें प्रदेशसंक्रमस्थान विशेष अधिक हैं । * उनसे लोभसंज्वलनमें प्रदेशसंक्रमस्थान विशेष अधिक हैं । * उनसे सम्यक्त्वमें प्रदेशसंक्रमस्थान अनन्तगुणे हैं । * उनसे सम्यग्मिथ्यात्वमें प्रदेशसंक्रमस्थान असंख्यातगुणे हैं ।