Book Title: Kasaypahudam Part 09
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatvarshiya Digambar Jain Sangh
View full book text
________________
गा० ८
उत्तरपयांडपदेससंकमे अप्पाबहुअं
२७३
$ २३६. संपहि सेसमग्गणाणं देसामा सयभावेणिंदियमम्गणावयवमूदेयिंदिए पयदप्पा बहुअपरूवणट्टमुत्तरमुत्तपबंधमाढवेइ ।
* तदो एइंदिए सव्वत्थोवो सम्मत्ते उक्कस्सपदेससंकमो ।
§ २४०. तदो गइमग्गणप्पाबहुअविहासणादो अणंतरमेइ दिएतु अप्पा बहुअगवेसणे कीरमाणे तत्थ सन्वत्थोवो सम्मत्ते उकस्सपदेससंकमो त्ति वृत्तं होइ ।
* सम्मामिच्छत्तस्स उक्कस्सपदेससंकमो असंखेज्जगुणो ।
६ २४१. कुदो दो हमेदेसिं अधापवत्तेण सामित्तपडिलंभाविसेसे वि दव्वविसेसमस्सिऊण तत्तो एदस्सासंखेज्जगुणब्भहिय कमेणावाणदंसणादो ।
* अपच्चक्खाणमाणे उक्कस्सपदेससंकमो असंखेज्जगुणो ।
६ २४२. एत्थकारणपरूवणाए णारयभंगो ।
* कोहे उक्कस्सपदेससंकमो विसेसाहिओ ।
* मायाए उक्कस्सपदेससंकमो विसेसाहिओ ।
* लोहे उक्कस्सपदेससंकमो विसेसाहियो ।
* पच्चक्खाणमाणे उक्कस्सपदेशसंकमो विसेसाहिओ । * कोहे उक्कस्सपदेससंकमो विसेसाहिओ ।
§ २३६. अब शेष मार्गणाओं के देशामर्षकभाव से इन्द्रियमार्गणा के अवयवभूत एकेन्द्रियों में प्रकृत अल्पबहुत्वका कथन करनेके लिए आगे सूत्रप्रबन्धका आलोडन करते हैं
* इसके बाद एकेन्द्रियोंमें सम्यक्त्वका उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रम सबसे स्तोक है ।
२४०. इसके बाद अर्थात् गतिमार्गणा में अल्पबहुत्वका व्याख्यान करने के बाद एकेन्द्रियों में श्रल्पबहुत्व की गवेषणा करने पर वहाँ सम्यक्त्वका उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रम सबसे स्तोक है यह उक्त कथा है |
* उससे सम्यग्मिथ्यात्वका उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रम असंख्यातगुणा है ।
६ २४१. क्योंकि इन दोनोंके अधःप्रवृत्तसंक्रमके द्वारा स्वामित्वके प्राप्त करनेमें विशेषता न होने पर भी द्रव्यविशेषकी अपेक्षा उससे इसका असंख्यातगुणे अधिकरूपसे अबस्थान देखा जाता है ।
* उससे अप्रत्याख्यानमानका उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रम असंख्यातगुणा है ।
§ २४२. यहाँ पर कारणका कथन करने में नारकियोंके समान कारण जानना चाहिए । * उससे अप्रत्याख्यानक्रोधका उत्कष्ट प्रदेशसंक्रम विशेष अधिक है। * उससे अप्रत्याख्यानमायाका उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रम विशेष अधिक है । * उससे अप्रत्याख्यानलोभका उत्कष्ट प्रदेशसंक्रम विशेष अधिक है । * उससे प्रत्याख्यानमानका उत्कष्ट प्रदेशसंक्रम विशेष अधिक है । * उससे प्रत्याख्यानक्रोधका उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रम विशेष अधिक है ।
३५