Book Title: Kasaypahudam Part 09
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatvarshiya Digambar Jain Sangh
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[बंधगोद
जयधवलासहिदे कसायपाहुडे * मायाए उकस्सपदेससंकमो विसेसाहिओ।
लोभे उक्कस्सपदेससंकमो विसेसाहिओ। * अणंताणुबंधिमाणे उक्कस्सपदेससंकमो विसेसाहिओ।
कोहे उकस्सपदेससंकमो विसेसाहित्रो। ॐ मायाए उक्कस्सपदेससंकमो विसेसाहिओ। 8 लोभे उकस्सपदेससंकमो विसेसाहिओ। * हस्से उकस्सपदेससंकमो अवंतगुणो।
रदीए उकस्सपदेससंकमो विसेसाहिो । ॐ इत्थिवेदे उकस्सपदेससंकमो संखेजगुणो।
सोगे उफस्सपदेससंकमो विसेसाहित्रो। * अरदीए उकस्सपदेससंकमो विसेसाहिओ। ॐ सयवेदे उकस्सपदेससंकमो विसेसाहियो । * दुगुंछाए उकस्सपदेससंकमो विसेसाहिओ। ॐ भए उकस्सपदेससंकमो विसेसाहिओ। * पुरिसवेदे उकस्सपदेससंकमो विसेसाहिओ।
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* उससे प्रत्याख्यानमायाका उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रम विशेष अधिक है। * उससे प्रत्याख्यानलोभका उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रम विशेष अधिक है। * उससे अनन्तानुबन्धीमानका उत्कष्ट प्रदेशसंक्रम विशेष अधिक है। * उ.से अनन्तानुबन्धीक्रोधका उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रम विशेष अधिक है। * उससे अनन्तानुबन्धीमायाका उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रम विशेष अधिक है। * उससे अनन्तानुबन्धीलोभका उत्कृष्ट प्रदेससंक्रम विशेष अधिक है। * उससे हास्यका उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रम अनन्तगुणा है। * उससे रतिका उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रम विशेष अधिक है। * उससे स्त्रीवेदका उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रम विशेष अधिक है। * उससे शोकका उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रम विशेष अधिक है। * उससे अरतिका उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रम विशेष अधिक है। * उससे नपुंसकवेदका उत्कृष्ट प्रदेससंक्रम विशेष अधिक है। * उससे जुगुप्साका उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रम विशेष अधिक है। * उससे भयंका उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रम विशेष अधिक है। * उससे पुरुषवेदको उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रम विशेष अधिक है।