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________________ २७४ [बंधगोद जयधवलासहिदे कसायपाहुडे * मायाए उकस्सपदेससंकमो विसेसाहिओ। लोभे उक्कस्सपदेससंकमो विसेसाहिओ। * अणंताणुबंधिमाणे उक्कस्सपदेससंकमो विसेसाहिओ। कोहे उकस्सपदेससंकमो विसेसाहित्रो। ॐ मायाए उक्कस्सपदेससंकमो विसेसाहिओ। 8 लोभे उकस्सपदेससंकमो विसेसाहिओ। * हस्से उकस्सपदेससंकमो अवंतगुणो। रदीए उकस्सपदेससंकमो विसेसाहिो । ॐ इत्थिवेदे उकस्सपदेससंकमो संखेजगुणो। सोगे उफस्सपदेससंकमो विसेसाहित्रो। * अरदीए उकस्सपदेससंकमो विसेसाहिओ। ॐ सयवेदे उकस्सपदेससंकमो विसेसाहियो । * दुगुंछाए उकस्सपदेससंकमो विसेसाहिओ। ॐ भए उकस्सपदेससंकमो विसेसाहिओ। * पुरिसवेदे उकस्सपदेससंकमो विसेसाहिओ। ERE * उससे प्रत्याख्यानमायाका उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रम विशेष अधिक है। * उससे प्रत्याख्यानलोभका उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रम विशेष अधिक है। * उससे अनन्तानुबन्धीमानका उत्कष्ट प्रदेशसंक्रम विशेष अधिक है। * उ.से अनन्तानुबन्धीक्रोधका उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रम विशेष अधिक है। * उससे अनन्तानुबन्धीमायाका उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रम विशेष अधिक है। * उससे अनन्तानुबन्धीलोभका उत्कृष्ट प्रदेससंक्रम विशेष अधिक है। * उससे हास्यका उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रम अनन्तगुणा है। * उससे रतिका उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रम विशेष अधिक है। * उससे स्त्रीवेदका उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रम विशेष अधिक है। * उससे शोकका उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रम विशेष अधिक है। * उससे अरतिका उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रम विशेष अधिक है। * उससे नपुंसकवेदका उत्कृष्ट प्रदेससंक्रम विशेष अधिक है। * उससे जुगुप्साका उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रम विशेष अधिक है। * उससे भयंका उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रम विशेष अधिक है। * उससे पुरुषवेदको उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रम विशेष अधिक है।
SR No.090221
Book TitleKasaypahudam Part 09
Original Sutra AuthorGundharacharya
AuthorFulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatvarshiya Digambar Jain Sangh
Publication Year2000
Total Pages590
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Karma, & Religion
File Size19 MB
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