Book Title: Kasaypahudam Part 09
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatvarshiya Digambar Jain Sangh
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१८६ जयधवनासहिदे कसायपाहुडे
[बंधगो६ ४६. सुगमं ।
* गुणिदकम्मंसिओ ईसाणादो भागदो सव्वलहुँ खवेदुमाढत्तो, तदो एवंसयवेदस्स अपच्छिमहिदिखंडयं चरिमसमयसंछुहमाणयस्स तस्स णवुसयवेदस्स उक्कस्सो पदेससंकमो।
५०. जो गुणिदकम्मंसिओ जाव सक्क ताव ईसोणदेवेसु चेव णqसयवेदकम्म गुणेदण तत्व कम्मद्विदिं समाणिय तत्तो चुदो संतो मणसेसुप्पज्जिय सव्वलहुमट्ठवस्साणमंतोमुहुत्ताहियाणमुवा खरगसेढिमारुहिय अणियट्टिकरणद्धाए संखेज्जेसु भागेसु समइक्कतेसु णqसयवेदस्सापच्छिमट्ठिदिखंडयं पुरिसवेदस्सुवरि सव्यसंकमेण संछुहमाणयस्स .तस्स दिवड्डगुणहाणिमेत्तगुणिदसमयपबद्धाणं संखेज्जे भागे घेत्तण णवंसयवेदस्स उकस्सओ पदेससंकमो होइ त्ति एसो एत्थ सुत्तत्थसंगहो। एत्थ वि परोदएणेव सामित्रं दायब', सोदएण पढमट्ठिदीए गुणसेढिसरूवेण गलमाणयहुदव्वपरिरक्खणट्ठ।
* कोहसंजलणस्स उक्कस्सो पदेससंकमो कस्स ? ६५१. सुगमं ।
ॐ जेण पुरिसवेदो उक्कस्सो संछुडो कोधे तेणेव जाधे माणे कोधो सव्वसंकमेण संभदि ताधे तस्स कोधस्स उक्कस्सो पदेससंकमो।
६४६. यह सूत्र सुगम है।
* कोई एक गुणितकमांशिक जीव ईशान कल्पसे आकर अतिशीघ्र क्षय करनेके लिए उद्यत हुआ । अनन्तर नपुंसकवेदके अन्तिम स्थितिकाण्डकको अन्तिम समयमें संक्रमित करनेवाले उसके नपुसकवेदका उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रम होता है।
५०. जो गुणितकर्मा शिक जीव जब तक शक्य हो तब तक ईशानकल्पके देवोंमें ही नपुंसकवेदकर्मको गुणित करके तथा वहीं पर कर्मस्थितिको समाप्त करके वहाँसे च्युत होकर मनुष्योंमें उत्पन्न हुआ । पुनः अतिशीघ्र अन्तर्मुहूर्त अधिक आठ वर्षके बाद क्षपकोणिपर आरोहण करके अनिवृत्तिकरणके कालमेंसे संख्यात बहुभागके व्यतीत होने पर नपुंसकवेदके अन्तिम स्थितिकाण्डकको पुरुषवेदके ऊपर सर्वसंक्रमके द्वारा संक्रमित करता है उसके डेढ़ गुणहानिगुणित समयप्रबद्धोंके संख्यात बहुभागको ग्रहण कर नपुंसकवेदका उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रम होता है इस प्रकार यह यहाँ पर सत्रार्थसंग्रह है। यहाँ पर भी परोदयसे ही स्वामित्व देना चाहिए, क्योंकि स्वोदयसे प्रथम स्थितिके गुणश्रेणिरूप होनेके कारण बहुत द्रव्यका गलन सम्भव है, अतः उसकी रक्षा करना आवश्यक है। . * क्रोधसंज्वलनका उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रम किसके होता है ?
६५१. यह सूत्र सुगम है।
* जिसने उत्कृष्ट पुरुषवेदको क्रोधमें संक्रमित किया है वही जीव जब क्रोधको सर्वसंक्रमके द्वारा मानमें संक्रमित करता है तब उसके क्रोधसंज्वलनका उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रम होता है।