Book Title: Kasaypahudam Part 09
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatvarshiya Digambar Jain Sangh
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जयधवलासहिदे कसायपाहुडे
[बंधगो६ * अणंताणुबंधीणं भुजगार-अप्पयर-अवट्टिदसंकामयाणं पत्थि अंतरं। ६४३३. कुदो ? तबिसेसियजीवाणमाणंतियदंसणादो।
अवत्तव्वसंकामयंतर जहणणेण एयसमत्रो। * उक्कस्सेण चउवीसमहोरत्ते सादिरेये।
६४३४. सुगममेदं सुत्तद्दयं । अणंताणुबंधिविसंजोयणाणं च संजुत्ताणं पि पयदंतरसंसिद्धीए बाहाणुवलंभादो।
* एवं सेसाणं कम्माणं।
६४३५. अणंताणुबंधीणं व बारसकसाय-णवणोकसायाणं पि भुजगारादिपदाणमंतरपरिक्खा कायव्वा त्ति सुगममेदमप्पणासुत्तं । अवत्तव्यसंकामयंतरं गओ दु थोवयरो विसेसो अत्थि ति तण्णिण्णयकरणट्ठमिदमाह
* णवरि अवत्तव्वसंकामयाणमंतरमुक्कस्सेण संखेजाणि वस्साणि ।
६४३६. कदो ? वासषुधत्तमेत्तक्कस्संतरेण विणा उवसमसेढिविसयाणमवत्तबसंकामयाणमेदेसि संभवाणुवलंभादो । एवमोघो समत्तो । आदेसेण सव्वमम्गणासु बिहत्तिभंगो। णवरि मणुसतिए बारसक०–णवणोक० अवत्त संकामयंतरमोघो त्ति वत्तव्यं ।
अनन्तानुबन्धियोंके भुजगार, अल्पतर और अवस्थित पदोंके संक्रामकोंका अन्तरकाल नहीं है।
६४३३. क्योंकि अनन्तानुबन्धियोंके इन पदोंसे युक्त अनन्त जीव देखे जाते हैं। * अवक्तव्यपदके संक्रामकोंका जघन्य अन्तर एक समय है। * उत्कृष्ट अन्तर साधिक चौवीस दिन-रात है।
६ ४३४. ये दोनों सूत्र सुगम हैं । तथा अनन्तानुबन्धियोंकी विसंयोजना करके संयुक्त होनेवाले जीवोंके प्रकृत अन्तरकी सिद्धि में कोई बाधा नहीं आती।
* इसी प्रकार शेष कर्मों का अन्तरकाल जानना चाहिए ।
६४३५. अनन्तानुबन्धियोंके समान बारह कषाय और नौ नोकषायोंके भी भुजगार आदि पदोंके अन्तरकालकी परीक्षा करनी चाहिए इस प्रकार यह अर्पणासत्र सुगम है। मात्र अब संक्रामकोंके अन्तरमें थोड़ी सी विशेषता है, इसलिए उसके निर्णय करनेके लिए यह सूत्र कहते हैं
* मात्र इतनी विशेषता है कि इनके अवक्तव्यपदके संक्रामकोंका उत्कृष्ट अन्तर संख्यात वर्षप्रमाण है।
६४३६. क्योंकि उपशमश्रेणिका उत्कृष्ट अन्तर वर्षपृथक्त्वप्रमाण है और उपशमश्रेणि हुए बिना इन कर्मों के प्रवक्तव्यपदके संक्रामकोंका सद्भाव नहीं पाया जाता। इस प्रकार अोघप्ररूपणा समाप्त हुई। आदेशसे सब मार्गणाओंमें अनुभागविभक्तिके समान भङ्ग है । इतनी विशेषता है कि मनुष्यत्रिकमें बारह कषाय और नौ नोकषायोंके अवक्तव्यपदके संक्रामकोंका अन्तरकाल ओघके समान है ऐसा कहना चाहिए।