Book Title: Kasaypahudam Part 09
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatvarshiya Digambar Jain Sangh
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गा० ५८] उत्तरपयडिअणुभागसंकमे पदणिक्खेवे अणियोगदारणामणिदेसो १२१ असंखेजगुणा । सोलसक०–णवणोक० सव्वत्थोवा अवत्त०संका० । अप्प०संका० असंखे०गुणा । भुज संका० असंखे०गुणा। अबढि संका० संखे०गुणा । सम्म०-सम्मामि० विहत्तिभंगो। एवं मणुसपज०-भणुसिणीसु । णपरि संखेजगुणं कायव्यं । सेसमग्गणासु विहत्तिभंगो।
एवमप्पाबहुए समत्ते भुजगारसंकमो त्ति समत्तमणिओगद्दारं । ॐ पदणिक्खेवे त्ति तिषिण अणियोगद्दाराणि ।
६४५०. पदणिक्खेवो ति जो अहियारो जहण्णकस्सबाहि-हाणि-अबढाणपदाणं परूवओ ति लद्धपदणिक्खेवववएसो तस्सेदाणिमत्थपरूवणं कस्सामो। तत्थ य तिण्णि अणियोगहाराणि णादव्याणि भवंति । काणि ताणि तिणि अणियोगद्दाराणि ति पुच्छावकमुत्तरं
* तं जहा६४५१. सुगमं।
परूवणा सामित्तमप्पाबहुअं च । ६ ४५२. एवमेदाणि तिणि चेाणिओगद्दाराणि पदणिक्खेवविसयाणि; अण्णेसिं तत्त्थासंभवादो । एदेसु ताव परूवणाणुगभं वत्तइस्सामो ति सुत्तमाह
भुजगारसंक्रामक जीव असंख्यातगुणे हैं। उनसे अवस्थितसंक्रामक जीव संख्यातगुणे हैं। सोलह कषाय और नौ नोकषायोंके अवक्तव्यसंक्रामक जीव सबसे स्तोक हैं। उनसे अल्पतरसंक्रामक जीव असंख्यातगुणे हैं। उनसे भुजगारसंक्रामक जीव असंख्यातगुणे हैं। उनसे अवस्थितसंक्रामक जीव संख्यातगुणे हैं । सम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्वका भङ्ग अनुभागविभक्तिके समान है। इसी प्रकार मनुष्यपर्याप्त और मनुष्यिनियोंमें अल्पबहुत्व है। इतनी विशेषता है कि असंख्यातगुणेके स्थानमें संख्यातगुणा करना चाहिए । शेष मार्गणाओंमें अनुभागविभक्तिके समान भङ्ग है।
इस प्रकार अल्पबहुत्वके समाप्त होनेपर भुजगारसंक्रम अनुयोगद्वा समाप्त हुआ। . * पदनिक्षेपमें तीन अनुयोगद्वार होते हैं ।
६४५०. जघन्य और उत्कृष्ट वृद्धि, हानि और अवस्थानपदोंका कथन करनेवाला होनेसे पदनिक्षेप इस संज्ञाको धारण करनेवाला पदनिक्षेप नामक जो अधिकार है उसकी इस समय अर्थप्ररूपणा करते हैं। उसमें तीन अनुयोगद्वार होते हैं । वे तीन अनुयोगद्वार कौन हैं इस प्रकारकी सूचना करनेवाले आगेके पृच्छावाक्यको कहते हैं
* यथा। ६४५१. यह सूत्र सुगम है। * प्ररूपणा, स्वामित्व और अल्पवहुत्व ।
६४५२. इस प्रकार पदनिक्षेपको विषय करनेवाले ये तीन ही अनुयोगद्वार हैं, क्योंकि अन्य अनुयोगद्वार वहाँ पर असम्भव हैं । इनमेंसे सर्व प्रथम प्ररूपणानुगमको बतलाते हैं इस अभिप्रायसे सूत्र कहते हैं
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