Book Title: Kasaypahudam Part 09
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatvarshiya Digambar Jain Sangh
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जयधवलासहिदे कसायपाहुडे
[ बंधगो ६ * दुगंछाए जहएणाण भागसंकमो अणंतगणो । ६३१३. कुदो ? पयडिविसेसेणेव तस्स तहाभावेणावट्ठाणादो।
भयस्स जहएणाणुभागसंकमो अणंतगुणो। ६ ३१४. सुगममेदं, ओघादो अविसिट्ठकारणत्तादो। ॐ सोगस्स जहणणाणुभागसंकमो अणंतगुणो। ६३१५. एदं पि सुगमं ओघसिद्धकारणतादो।
* अरदीए जहणणाणुभागसंकमो अणंतगुणो। ६३१६. एदं च सुबोहं, ओघम्मि परूविदकारणत्तादो।
ॐ णवंसयवेदस्स जहपणाणुभागसंकमो अणंतगुणो। ६३१७. किं कारणं १ इट्टगावागग्गिसरिसपरिणामकारणत्तादो। * अपञ्चक्खाणमाणस्स जहपणाणुभागसंकमो अणंतगुणो । ६३१८. कुदो! णोकसायाणुभागादो कसायाणुभागस्स महल्लत्तसिद्धीए णाइयत्तादो। * कोधस्स जहणणाणुभागसंकमो विसेसाहिओ।
मायाए जहपणाणुभागसंकमो विसेसाहिओ। * लोमस्स जहणणाणुभागसंकमो विसेसाहित्रो।
* उससे जुगुप्साका जघन्य अनुभागसंक्रम अनन्तगुणा है । ६३१३. क्योंकि प्रकृतिविशेष होनेसे ही वह इस प्रकारसे अवस्थित है। * उससे भयका जघन्य अनुभागसंक्रम अनन्तगुणा है।
३१४. यह सुगम है, क्योंकि ओघप्ररूपणामें जो इसका कारण बतलाया है उसी प्रकारका कारण यहाँ भी प्राप्त होता है।
* उससे शोकका जघन्य अनुभागसंक्रम अनन्तगुणा है । ६३१५. यह भी सुगम है, क्योंकि ओघप्ररूपणामें इसके कारणकी सिद्धि कर आये हैं।
* उससे अरतिका जघन्य अनुभागसंक्रम अनन्तगुणा है । ६३१६. यह भी सुबोध है, क्योंकि ओघप्ररूपणामें इसका कारण कह आये हैं। * उससे नपुंसकवेदका जघन्य अनुभागसंक्रम अनन्तगुणा है । ६.३१७. क्योंकि अवाकी अग्निके समान परिणाम इसका कारण है। * उससे अप्रत्याख्यानमानका जघन्य अनुभागसंक्रम अनन्तगुणा है।
६३१८. क्योंकि नोकषायोंके अनुभागसे कषायोंका अनुभाग अधिक है यह न्यायसिद्ध बात है।
* उससे अप्रत्याख्यानक्रोधका जघन्य अनुभागसंक्रम विशेष अधिक है। * उससे अप्रत्याख्यान मायाका जघन्य अनुभागसंक्रम विशेष अधिक है। * उससे अप्रत्याख्यानलोभका जघन्य अनुभागसंक्रम विशेष अधिक है।