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भगवती मूत्र-श. १८ उ. ६ परमाणु और स्कन्ध में वर्णादि
.६ उत्तर-हे गौतम ! कदाचित् एक वर्ण और कदाचित् दो वर्ण, कदाचित् एक गन्ध या दो गन्ध, कदाचित् एक रस या दो रस, कदाचित् दो स्पर्श, तीन स्पर्श और कदाचित् चार स्पर्श वाला होता है। इसी प्रकार त्रिप्रदेशी स्कन्ध के विषय में भी जानना चाहिये । विशेष यह है कि कदाचित् एकवर्ण, दो वर्ण और कदाचित् तीन वर्ण वाला होता है। इसी प्रकार रस के विषय में भी यावत् तीन रस वाला होता है। शेष सब द्विप्रदेशी स्कन्ध के समान जानना चाहिये । इसी प्रकार चतुष्प्रदेशी स्कन्ध के विषय में भी जानना चाहिये । विशेष यह है कि कदाचित् एक र्ण यावर कदाचित् चार वर्ण वाला होता है । रस के विषय में भी इसी प्रकार जानना चाहिये। शेष सब पूर्ववत् है । इसी प्रकार पंचप्रदेशी स्कन्ध के विषय में भी जानना चाहिये । विशेष यह है कि वह कदाचित् एक वर्ण यावत् पांच वर्ण वाला होता है । इसी प्रकार रस के विषय में भी जानना चाहिये। गन्ध और स्पर्श पूर्ववत् जानना चाहिये । जिस प्रकार पंचप्रदेशी स्कन्ध का कहा गया है, उसी प्रकार यावत् असंख्यात प्रदेशी स्कन्ध तक जान लेना चाहिये।
७ प्रश्न-हे भगवन् ! सूक्ष्म परिणाम वाला अनन्त प्रदेशी स्कन्ध कितने वर्ण वाला होता है, इत्यादि प्रश्न ?
७ उत्तर-हे गौतम ! पञ्चप्रदेशी स्कन्ध के समान सम्पूर्ण रूप से जानना चाहिये।
८ प्रश्न-हे भगवन् ! बादर (स्थूल) परिणाम वाला अनन्त प्रदेशी स्कन्ध कितने वर्ण वाला होता है, इत्यादि प्रश्न ?
८ उत्तर-हे गौतम ! वह कदाचित् एक वर्ण यावत् कदाचित् पांच वर्ण वाला । कदाचित् एक गन्ध या दो गन्ध वाला, कदाचित् एक रस यावत् पांच रस वाला, चार स्पर्श यावत् कदाचित् आठ स्पर्श वाला होता है ।
हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है । हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है-ऐसा कह कर गौतम स्वामी यावत् विचरते हैं।
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