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भगवती सूत्र-श. २४ 3 ३२ ज्योतिषी देवों का उपपात
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भंते ! जे भविए जोइसिएसु उवजित्तए से णं भंते ! केवइ० ? ____३ उत्तर-गोयमा ! जहण्णेणं अट्ठभागपलिओवमट्टिईएसु, उकोसेणं पलिओवमवाससयसहस्सट्टिईएसु उववजइ, अवसेसं जहा असुरकुमारुद्देसए । णवरं ठिई जहण्णेणं अट्ठभागपलिओवमं, उक्कोसेणं तिण्णि पलिओवमाइं । एवं अणुबंधो वि, सेसं तहेव । णवरं कालादेसेणं जहण्णेणं दो अट्ठभागपलिओवमाई, उक्कोसेणं चत्तारि पलिओवमाइं वाससयसहस्समभहियाइं-एवइयं ० १ ।
भावार्थ-३ प्रश्न-हे भगवन् ! असंख्यात वर्ष की आयु वाला संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यंच-योनिक ज्योतिषी में उत्पन्न हो, तो कितने काल की स्थिति वाले ज्योतिषी में उत्पन्न होता है ? ..
३ उत्तर-हे गौतम ! वह जघन्य पल्योपम के आठवें भाग और उत्कृष्ट एक लाख वर्ष अधिक एक पल्योपम की स्थिति वाले ज्योतिषी में उत्पन्न होता है, शेष असुरकुमार उद्देशक के अनुसार । स्थिति जघन्य पल्योपम के आठवें भाग और उत्कृष्ट तीन पल्योपम की होती है और इसी प्रकार अनुबन्ध भी होता है, शेष पूर्ववत् । कालादेश से जघन्य पल्योपम के दो आठवें भाग और उत्कृष्ट एक लाख वर्ष अधिक चार पल्योपम तक यावत् गमनागमन करता है ।।
४-सो चेव जहण्णकालटिईएसु उववण्णो, जहण्णेणं अटुभागपलिओवमट्टिईएसु, उक्कोसेण वि अट्ठभागपलिओवमट्टिईएसु एस चेव वत्तव्वया । णवरं कालादेसेणं जाणेजा २।
भावार्थ-४ यदि वह संज्ञी पंचेंद्रिय तियंच जघन्य काल की स्थिति वाले
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