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भगवती मूत्र-श. २४ उ. २४ वैमानिक देवों का उपपात
९ प्रश्न-जइ मणुस्सेहिंतो उववज्जति ? ९ उत्तर-भेदो जहेव जोइसिपसु उववजमाणस्स । जाव
भावार्थ-९ प्रश्न-यदि वह सौधर्म देव, मनुष्य से आ कर उत्पन्न होता है, तो?
९ उत्तर-ज्योतिषी में उत्पन्न होने वाले संज्ञी मनुष्य के समान वक्तव्यता जाननी चाहिए । यावत्
१० प्रश्न-असंखेजवासाउयसणिमणुस्से णं भंते ! जे भविए सोहम्मे कप्पे देवत्ताए उववजित्तए० ?
. १० उत्तर-एवं जहेव असंखेजवासाउयस्स सण्णिपंचिंदियतिरिक्ख जोणियस्स सोहम्मे कप्पे उववजमाणस्स तहेव सत्त गमगा। णवरं आदिल्लएसु दोसु गमएसु ओगाहणा जहण्णेणं गाउयं, उक्कोसेणं तिण्णि गाउयाई । तइयगमे जहण्णेणं तिण्णि गाउयाई, उक्को. सेण वि तिण्णि गाउयाइं । चउत्थगमए जहण्णेणं गाउयं, उक्कोसेण वि गाउयं । पच्छिमएसु तिसु गमएसु जहण्णेणं तिण्णि गाउयाई, उक्को. सेण वि तिण्णि गाउयाई । सेसं तहेव गिरवसेसं ९।
___ भावार्थ-१० प्रश्न-हे भगवन् ! असंख्यात वर्ष की आयु वाला संज्ञी मनुष्य सौधर्म देव में उत्पन्न हो, तो कितने काल की स्थिति में उत्पन्न होता है ?
१० उत्तर-हे गौतम ! सौधर्मकल्प में उत्पन्न होने वाले असंख्य वर्ष की आयु वाले संज्ञो पञ्चेन्द्रिय तिर्यञ्च के समान सातों गमक जानना चाहिये, परन्तु प्रथम के दो गमक में अवगाहना जघन्य एक गाऊ और उत्कृष्ट तीन गाऊ होती है। तीसरे गमक में जघन्य और उत्कृष्ट तीन गाऊ, चौथे गमक में जघन्य
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