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भगवती सूत्र-श. २४ उ. १ नै रयिकादि का उपपातादि
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भावार्थ-१० प्रश्न-हे भगवन् ! उन जीवों के शरीर को अवगाहना कितनी बड़ी होती है ?
१० उत्तर-हे गौतम ! उनके शरीर को अवगाहना जघन्य अंगुल के असंख्यातवें भाग और उत्कृष्ट एक हजार योजन की होती है।
११ प्रश्न-तेसि णं भंते ! जीवाणं सरीरगा किं संठिया पण्णत्ता ? ११ उत्तर-गोयमा ! हुंडसंठाणसंठिया पण्णत्ता ५। भावार्थ-११ प्रश्न-हे भगवन् ! उनके शरीर का संस्थान कौन सा है ? ११ उत्तर-हे गौतम ! हुण्डक संस्थान होता है।
१२ प्रश्न-तेसि णं भंते ! जीवाणं कइ लेस्साओ पण्णत्ताओ?
१२ उत्तर-गोयमा ! तिण्णि लेस्साओ पण्णत्ताओ । तं जहाकण्हलेस्सा, णीललेस्सा, काउलेस्ता ६।
भावार्थ-१२ प्रश्न-हे भगवन् ! उनके कितनी लेश्याएं होती हैं ?
१२ उत्तर-हे गौतम ! उनके तीन लेश्याएं होती हैं । यथा-कृष्णलेश्या, नीललेश्या और कापोतलेश्या ।
१३ प्रश्न-ते णं भंते ! जीवा किं सम्मदिट्ठी, मिच्छादिट्टी, सम्मामिच्छादिट्ठी ? __ १३ उत्तर-गोयमा ! णो सम्मदिट्ठी, मिच्छादिट्ठी, णो सम्मामिच्छादिट्ठी ७ ।
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