________________
भगवती सूत्र - २४ उ १२ पृथ्वोकायिक जीवों की उत्पत्ति
पाठ में बता दी गई है | संवेध का कथन उपयोगपूर्वक यथायोग्य कहना चाहिये
२८ प्रश्न - जह पंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जेति किं सष्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति असणिपंचिंदिय तिरिक्ख जोणिए० ?
२८ उत्तर - गोयमा ! सणिपंचिंदिय०, असष्णिपंचिंदिय० ।
भावार्थ-२८ प्रश्न-हे भगवन् ! यदि वे पृथ्वीकायिक, पञ्चेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक से आते हैं, तो क्या संज्ञी पंचेंद्रिय तिर्यंच-योनिक से आते हैं या असंज्ञी से ? '२८ उत्तर - हे गौतम ! संज्ञी और असंज्ञी दोनों प्रकार के पञ्चेन्द्रिय तिर्यञ्च योनिक से आते हैं ।
३०८७
२९ प्रश्न - जह असणिपंचिंदिय० किं जलचरेहिंतो उववज्जंति . जाव किं पजत्तएहिंतो उववजंति, अपजत्तएहिंतो उववज्जंति ?
२९ उत्तर - गोयमा ! जाव पज्जत्तएहिंतो वि उववज्जंति, अपज्ज - तहिंतो वि उववज्र्ज्जति ।
भावार्थ - २९ प्रश्न - हे भगवन् ! यदि वे असंज्ञी पञ्चेन्द्रिय तिर्यंच-योनिक से आते हैं, तो जलचरों से आते हैं यावत् पर्याप्त या अपर्याप्त से आते हैं ? २९ उत्तर - हे गौतम! यावत् सभी के पर्याप्त और अपर्याप्त से आते हैं । ३० प्रश्न - असणिपंचिंदियतिरिक्खजोणिए णं भंते! जे भविए पुढविकास उववज्जित से णं भंते ! केवइ० ?
३० उत्तर - गोयमा ! जहणेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं बावीसं वासमहस्साईं ।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org