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भगवती सूत्र-श. २४ उ. १४ तेउकायिक जीवों की उत्पत्ति
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स्थिति वाले अपकायिक में उत्पन्न होता है। यह सम्पूर्ण उद्देशक पृथ्वीकायिक उद्देशक के समान है । स्थिति और संवेध यथायोग्य, शेष पूर्ववत् ।
'हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है । हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है 'कह कर गौतम स्वामी यावत् विचरते हैं।
॥ चौबीसवें शतक का तेरहवां उद्देशक सम्पूर्ण ॥
‘शतक २४ उहेशक १४
तेउकायिक जीवों की उत्पत्ति
- MIRRRRRR१ प्रश्न-तेउकाइया णं भंते ! कओहिंतो उववज्जंति ?
१ उत्तर-एवं जहेव पुढविक्काइयउद्देसगसरिसो उद्देसो भाणियव्वो। णवरं ठिई संवेहं च जाणेजा, देवेहितोण उववज्जंति, सेसं तं चेव । ___ सेवं भंते ! सेवं भंते' !त्ति जवि विहरइ ® ..
॥ चउवीसइमे सए चोइसमो उद्देसो समत्तो ॥
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