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भगवती सूत्र-श. २४ उ. १८ तेइन्द्रिय जीवों की उत्पत्ति
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वायुकाय, वनस्पतिकाय, वेइन्द्रिय, तेइन्द्रिय और चौरिन्द्रिय के साथ जानना चाहिये । अर्थात् पहले, दूसरे, चौथे और पाँचवें गमक में उत्कृष्ट संख्यात भव और शेष पाँच गमकों में उत्कृष्ट आठ भत्र जानने चाहिये । कालादेश में पथ्वीकायिकादि की जो स्थिति हो, उसे बेइन्द्रिय की स्थिति के साथ जोड़ कर संवेध जानना चाहिए । पञ्चेन्द्रिय तिर्यञ्च और मनुष्यों के साथ बेइन्द्रिय के पूर्ववत् सभी गमकों में उत्कृष्ट आठ-आठ भव होते हैं।
॥ चौबीसवें शतक का सतरहवाँ उद्देशक सम्पूर्ण ॥
शतक २४ उद्देशक १८
तेइन्द्रिय जीवों की उत्पत्ति
१ प्रश्न तेइंदिया णं भंते ! कओहिंतो उववनंति ?
१ उत्तर-एवं तेइंदियाणं जहेव वेइंदियाणं उद्देसो । णवरं ठिई संवेहं च जाणेजा । तेउकाइएसु समं तइयगमे उकोसेणं अठुत्तराई वेराइंदियसयाई, बेइंदिएहिं समं तइयगमे उक्कोसेणं अडयालीसं संवच्छराई छण्णउयराइंदियसयमभहियाई, तेइंदिएहिं समं तहयगमे उक्को. सेणं बाणउयाई तिण्णि राइंदियसयाई । एवं सव्वत्थ जाणेजा जाव
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