SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 484
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भगवती सूत्र-श. २४ उ. १८ तेइन्द्रिय जीवों की उत्पत्ति ३११३ वायुकाय, वनस्पतिकाय, वेइन्द्रिय, तेइन्द्रिय और चौरिन्द्रिय के साथ जानना चाहिये । अर्थात् पहले, दूसरे, चौथे और पाँचवें गमक में उत्कृष्ट संख्यात भव और शेष पाँच गमकों में उत्कृष्ट आठ भत्र जानने चाहिये । कालादेश में पथ्वीकायिकादि की जो स्थिति हो, उसे बेइन्द्रिय की स्थिति के साथ जोड़ कर संवेध जानना चाहिए । पञ्चेन्द्रिय तिर्यञ्च और मनुष्यों के साथ बेइन्द्रिय के पूर्ववत् सभी गमकों में उत्कृष्ट आठ-आठ भव होते हैं। ॥ चौबीसवें शतक का सतरहवाँ उद्देशक सम्पूर्ण ॥ शतक २४ उद्देशक १८ तेइन्द्रिय जीवों की उत्पत्ति १ प्रश्न तेइंदिया णं भंते ! कओहिंतो उववनंति ? १ उत्तर-एवं तेइंदियाणं जहेव वेइंदियाणं उद्देसो । णवरं ठिई संवेहं च जाणेजा । तेउकाइएसु समं तइयगमे उकोसेणं अठुत्तराई वेराइंदियसयाई, बेइंदिएहिं समं तइयगमे उक्कोसेणं अडयालीसं संवच्छराई छण्णउयराइंदियसयमभहियाई, तेइंदिएहिं समं तहयगमे उक्को. सेणं बाणउयाई तिण्णि राइंदियसयाई । एवं सव्वत्थ जाणेजा जाव Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004091
Book TitleBhagvati Sutra Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages566
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy