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शतक २४ उद्देशक २२
वाणव्यंतर देवा का उपपात
१ प्रश्न-वाणमंतरा णं भंते ! कओहिंतो उववजंति ? किं णेरइएहिंतो उववज्जति, तिरिक्ख० ?
१ उत्तर-एवं जहेव णागकुमारउद्देसए असण्णी तहेव गिरवसेसं । जइ सण्णिपंचिंदिय० जाव असंखेजवासाउय० ।
भावार्थ-१ प्रश्न-हे भगवन् ! वाणव्यंतर देव कहाँ से आ कर उत्पन्न होते हैं ? नैरयिक, तिर्यच योनिक, मनुष्य से या देव से आ कर उत्पन्न होते हैं ?
१ उत्तर-हे गौतम ! नागकुमार देव के उद्देशकानुसार यावत् असंज्ञो तक । यदि वाणव्यन्तर देव-संज्ञो पञ्चेन्द्रिय तियंच से आ कर उत्पन्न होते हैं, इत्यादि यावत् असंख्यात वर्ष की आयु तक पूर्ववत् जानना चाहिये।
२ प्रश्न-सण्णिपंचिंदिय० जे भविए वाणमंतरेसु उववज्जित्तए से णं भंते ! केवइ० ?
२ उत्तर-गोयमा ! जहण्णेणं दसवाससहस्सठिईएसु, उक्कोसेणं पलिओवमठिईएसु, सेसं तं चेव जहा णागकुमारउद्देसए जाव कालादेसेणं जहण्णेणं साइरेगा पुत्वकोटी दसहिं वाससहस्सेहिं अब्भहिया, उकोसेणं चत्तारि पलिओवमाई-एवइयं १ ।
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