Book Title: Bhagvati Sutra Part 06
Author(s): Ghevarchand Banthiya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

View full book text
Previous | Next

Page 531
________________ भगवती सूत्र - श. २० उ. २१ मनुष्य की विविध योनियों से उत्पत्ति १३ उत्तर - हे गौतम ! वे अधस्तन - अधस्तन यावत् उपरितन- उपरितन ग्रवेयक से भी आकर उत्पन्न होते हैं । भ ३१६० १४ प्रश्न - गेविज्जगदेवे णं भंते! जे भविए मणुस्तेसु उववजित्तए से णं भंते! केवहयकाल० १ १४ उत्तर - गोयमा ! जहण्णेणं वासपुहुत्तटिईएसु, उक्कोसेणं पुव्वकोडी ०, अवसेसं जहा आणयदेवस्स वत्तव्वया । णवरं ओगाहणा - गोयमा ! एगे भवधारणिज्जे सरीरए से जहणणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं उक्कोसेणं दो रयणीओ । संठाणं- एगे भवधारणिज्जे सरीरे, से समचउरंससंठिए पण्णत्ते । पंच समुग्धाया पण्णत्ता, तं जहावेदणासमुग्धाए जाव तेयगसमुग्धाए, णो चेव णं वेडव्वियतेयगसमुग्धा एहिं समोहासु वा, समोहति वा, समोहणिस्संति वा । ठिई अणुबंधो जहणणेणं बावीसं सागरोवमाई, उक्कोसेणं एक्कतीसं सागरोवमाई, सेसं तं चैव । कालादेसेणं जहण्णेणं बावीसं सागरो· वमाई वासपुहुत्तमब्भहियाई, उक्कोसेणं तेणउतिं सागरोवमाई तिहिं पुष्वकोडीहिं अन्भहियाई - एवइयं ० । एवं सेसेसु वि अट्टगम एसु । णवरं ठिझं संवेहं च जाणेज्जा ९ । भावार्थ - १४ प्रश्न - हे भगवन् ! ग्रैवेयक देव, मनुष्य में उत्पन्न हो, तो कितने काल की स्थिति वाले मनुष्य में उत्पन्न होता है ? १४ उत्तर - हे गौतम! जघन्य वर्ष - पृथक्त्व और उत्कृष्ट पूर्वकोटि Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566