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भगवती सूत्र - श. २४ उ. १५ वायुकायिक जीवों की उत्पत्ति
भावार्थ - १ प्रश्न - हे भगवन् ! तेजस्कायिक जीव कहां से आ कर उत्पन्न होते है, इत्यादि ?
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१ उत्तर-इनकी उत्पत्ति भी पृथ्वीकायिक उद्देशक के समान है । स्थिति और संवेध पूर्व से भिन्न है । तेजस्कायिक जीव, देवों से नहीं आते, शेष पूर्ववत् । 'हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है। हे भगवन् ! यह इसी प्रकार हैकह कर गौतम स्वामी यावत् विचरते है ।
विवेचन - कोई भी देव चव कर तेजस्काय में उत्पन्न नहीं होता । तेजस्काय की आयु जघन्य अन्तर्मुहूर्त उत्कृष्ट तीन अहोरात्रि है ।
॥ चौबीसवें शतक का चौदहवाँ उद्देशक सम्पूर्ण ॥
च जाणेजा ।
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शतक २४ उद्देशक २५
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वायुकायिक जीवों की उत्पत्ति
१ प्रश्न - वाउकाइया णं भंते ! कओहिंतो उवषज्जंति ?
१ उत्तर - एवं जहेब तेउकाइयउद्देसओ तहेव । णवरं ठिहं संवेहं
* 'सेवं भंते! सेवं भंते' । त्ति
॥ चवीसहमे सर पण्णरसमो उद्देसो समतो |
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