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भगवती सूत्र - श. २४ उ. १६ वनस्पतिकायिक जीवों की उत्पत्ति ३१०९
भावार्थ - १ प्रश्न - हे भगवन् ! वायुकायिक जीव कहां से आ कर उत्पन्न होते हैं, इत्यादि ?
१ उत्तर - तेजस्कायिक उद्देशक के अनुसार । स्थिति और संबंध तेजस्कायिक से भिन्न समझना चाहिये ।
'हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है । हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है'कह कर गौतम स्वामी यावत् विचरते हैं ।
विवेचन - देवों से चव कर आया हुआ जीव, वायुकायिक जीवों में उत्पन्न नहीं होता । वायुकाय की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट तीन हजार वर्ष की है । शेष पूर्ववत् ।
|| चौबीसवें शतक का पन्द्रहवाँ उद्देशक सम्पूर्ण ॥
शतक २४ उद्देशक १६
वनस्पतिकायिक जीवों की उत्पत्ति
१ प्रश्न - वणस्सइकाइया णं भंते ! कओहिंतो उववज्जंति ?
१ उत्तर - एवं पुढविकाइयसरिसो उद्देसो | णवरं जाहे वणस्सहकाहओ वणस्सइकाइएस उववज्जह ताहे पढम - बिहय चउत्थ- पंचमेसु गमपसु परिमाणं अणुसमयं अविरहियं अनंता उववज्र्जति । भवा
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