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भगवती सूत्र-श. २४ उ. १२ पृथ्वीकायिक जीवों की उत्पत्ति
४२ प्रश्न-जइ भवणवासिदेवेहितो उववज्जति किं असुरकुमारभवणवासिदेवेहिंतो उववजंति जाव थणियकुमारभवणवासिदेवेहितो०?
४२ उत्तर-गोयमा ! असुरकुमारभवणवासिदेवेहितो उववज्जति जाव थणियकुमारभवणवासिदेवेहिंतो उववजंति ।
भावार्थ-४२ प्रश्न-हे भगवन् ! यदि वे भवनपति देवों से आते हैं, तो असुरकुमारों से आते हैं या यावत् स्तनितकुमारों से आते हैं ?
__ ४२ उत्तर-हे गौतम ! वे असुरकुमार यावत् स्तनितकुमार देवों से आते हैं।
४३ प्रश्न-असुरकुमारेणं भंते ! जे भविए पुढविकाइएसु उववजित्तए से णं भंते ! केवइ० ? ___४३ उत्तर-गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहत्त०, उक्कोसेणं बावीसंवाससहस्सटिई।
भावार्थ-४३ प्रश्न-हे भगवन् ! असुरकुमार भवनपति देव, पृथ्वीकायिक में आते हैं, तो कितने काल की स्थिति में आते हैं ?
__४३ उत्तर-हे गौतम ! जघन्य अंतर्मुहर्त और उत्कृष्ट बाईस हजार वर्ष की स्थिति वाले पृथ्वीकायिकों में उत्पन्न होते हैं।
४४ प्रश्न-ते णं भंते ! जीवा० पुच्छा ।
४४ उत्तर-गोयमा ! जहण्णेणं एको वा दो वा तिण्णि वा, उकासेणं संखेजा वा असंखेजा वा उववजंति ।
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