________________
.३०९२
भगवती मूत्र-श. २४ उ. १२ पृथ्वीकायिक जीवों की उत्पत्ति
३५ प्रश्न-जइ मणुस्सेहिंतो उववज्जति किं सण्णिमणुस्सेहितो उववज्जति, असण्णिमणुस्सेहिंतो० ? '. ३५ उत्तर-गोयमा ! सण्णिमणुस्सेहिंतो उववज्जति, असणि मणुस्सेहितो वि उववति।
___ भावार्थ-३५ प्रश्न-हे भगवन् ! यदि वे पृथ्वीकायिक, मनुष्यों से आते हैं, तो संज्ञी मनुष्यों से आते हैं या असंज्ञो मनष्यों से ?
३५ उत्तर-हे गौतम ! संज्ञी और असंज्ञी दोनों प्रकार के मनुष्यों से आते हैं।
- ३६ प्रश्न-असण्णिमणुस्से णं भंते ! जे भविए पुढविकाइएसु० से णं भंते ! केवइयकाल ? ___३६ उत्तर-एवं जहा असण्णिपंचिंदियतिरिक्खजोणियस्स जहण्णकालटिईयस्स तिण्णि गमगा तहा एयस्स वि ओहिया तिण्णि गमगा भाणियव्वा तहेव गिरवसेसा, सेसा छ ण भण्णंति १ ।
भावार्थ-३६ प्रश्न-हे भगवन् ! असंज्ञी मनुष्य, पश्वीकायिक में आते. हो, तो कितने काल की स्थिति वाले पृथ्वीकायिक जोकों में आता है ?
३६ उत्तर-हे गौतम ! जिस प्रकार जघन्य काल की स्थिति वाले असंज्ञी पञ्चेन्द्रिय तिर्यच-योनिक के विषय में तीन गमक कहे गये हैं, उसी प्रकार यहां भी औधिक तीन गमक सम्पूर्ण कहने चाहिये । शेष छह गमक नहीं कहने चाहिये।
३७ प्रश्न-जइ सण्णिमणुस्सेहिंतो उववजति किं संखेज.
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org