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भगवती सूत्र - श. २४ उ. ३ नागकुमार की उपपात
३ प्रश्न - जइ सष्णिपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो० किं संखेज्ज - वासाउय०, असंखेज्जवासाउय० ?
३ उत्तर - गोयमा ! संखेज्जवासाज्य० असंखेज्जवासाउय० जाव उववज्जति ।
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भावार्थ - ३ प्रश्न - हे भगवन् ! यदि संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यंच-योनिक से आते हैं तो क्या संख्यात वर्ष की आयुष्य वाले संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यंच-योनिक से आते हैं या असंख्यात वर्ष की ?
३ उत्तर - हे गौतम! वे संख्यात वर्ष और असंख्यात वर्ष की आयुष्य वाले तिर्यंच-योनिक से आते हैं ।
४ प्रश्न - असंखेज्जवासाज्यसणिपंचिंदियतिरिखखजोणिए गं भंते ! जे भविए णागकुमारेसु उववज्जित्तए से णं भंते ! केवइकालट्टिई० ?
४ उत्तर - गोयमा ! जहणेणं दसवाससहस्सट्टिईएस, उक्कोसेणं देसूणदुपलिओ मट्टिईएस उववज्जेजा ।
भावार्थ ४ प्रश्न - हे भगवन् ! असंख्यात वर्ष की आयुष्य वाला संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यंच जीव, नागकुमारों में उत्पन्न हो, तो कितने काल की स्थिति वाला होता है ?
४ उत्तर - हे गौतम! जघन्य दस हजार वर्ष और उत्कृष्ट देशोन दो पत्योपम की स्थिति वाले नागकुमारों में उत्पन्न होता है ।
५ प्रश्न - ते णं भंते! जीवा ० ?
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