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भगवती सूत्र - श. २४ उ. ३ नागकुमारों का उपपात
विवेचन - 'उत्कृष्ट देशोन दो पल्योपम की स्थिति वालों में उत्पन्न होता है' - यह कथन उत्तर दिशा के नागकुमार निकाय की अपेक्षा से समझना चाहिये । क्योंकि उन्हीं में देशोन दो पल्योपम की उत्कृष्ट आयु होती है ।
उत्कृष्ट संवेध पद में जो देशोन पाँच पल्योपम कहे गये हैं, वे असंख्यात वर्ष की आयुष्य वाले तिर्यंच सम्बन्धी तीन पल्योपम और नागकुमार सम्बन्धी देशोन दो पल्योपम, इस प्रकार देशोन पांच पत्योपम समझना चाहिये ।
दूसरे गमक में नागकुमारों की जघन्य स्थिति दस हजार वर्ष और संवेध काल की अपेक्षा जघन्य सातिरेक पूर्वकोटि सहित दस हजार वर्ष और उत्कृष्ट तीन पल्योपम सहित दस हजार वर्ष समझना चाहिये। तीसरे गमक में देशोन दो पल्योपम की स्थिति वालों में उत्पत्ति समझनी चाहिये । स्थिति जघन्य देशोन दी पल्योपम जो कही है, वह अवसर्पिणी काल के सुपमा नामक दूसरे आरे का कुछ भाग बीत जाने पर असंख्यात वर्ष की आयुष्य वाले तिर्यंचों की अपेक्षा समझनी चाहिये, क्योंकि उन्हीं में इस प्रमाण की आयुष्य हो सकती है और वे ही अपनी उत्कृष्ट आयु के समान देवायु का बन्ध कर के उत्कृष्ट स्थिति वाले नागकुमारों में उत्पन्न होते हैं ।
तीन पल्योपम की जो स्थिति कही गई है, वह देवकुरु आदि के असंख्यात वर्ष की आयुष्य वाले तिर्यंचों की अपेक्षा समझनी चाहिये । तीन पल्योपम की आयुष्य वाले भी नागकुमारों में देशोन दो पल्योपम की आयु बाँधते हैं, क्योंकि वे अपनी आयु के बराबर अथवा उससे कम आयु तो बांध लेते हैं, परन्तु अधिक देवायु नहीं बांधते ।
१२ प्रश्न - जन् मणुस्सेहिंतो उववजंति किं सष्णिमणु०, असण्णिमणु० ?
१२ उत्तर - गोयमा ! सष्णिमणु०, णो असष्णिमणुस्से हिंतो०, जहा असुरकुमारेसु उववज्जमाणस्स जाव
भावार्थ - १२ प्रश्न - हे भगवन् ! यदि वे ( नागकुमार) मनुष्यों से आते हैं, तो संज्ञी मनुष्यों से आते हैं, या असंज्ञी मनुष्यों से ?
१२ उत्तर - हे गौतम ! वे संज्ञी मनुष्यों से आते हैं, असंज्ञी मनुष्यों से
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