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भगवती सूत्र-श. २४ उ. ४-११ सुवर्णकुमारादि का उपपात
समान है । जहां जहां विशेषता है, वह मूल पाठ में बता दी गई है। .
॥ चौवीसवें शतक का तीसरा उद्देशक सम्पूर्ण ॥
MUNNMARA
शतक २४ उद्देशक ४-११
सुवर्णकुमारादि का उपपात
१-अवसेसा सुवण्णकुमाराई जाव थणियकुमारा एए अट्ठ वि उद्देसगा जहेव णागकुमारा तहेव गिरवसेसा भाणियन्वा ।
® 'सेवं भंते ! सेवं भंते' ! त्ति ॥ चउवीसइमे सए चउत्थयाइ उद्देसा समत्ता॥
भावार्थ-१ सुवर्णकुमार से ले कर स्तनितकुमार तक आठ भवनपति देवों के आठ उद्देशक, नागकुमारों के समान ही जानना चाहिये।
___ 'हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है । हे भगवन् ! यह इसी प्रकार हैकह कर गौतम स्वामी यावत् विचरते हैं।
॥ चौबीसवें शतक के चार से ग्यारह उद्देशक सम्पूर्ण ॥
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