________________
भगवती सूत्र - श. २४ उ. १२ पृथ्वोकायिक जीवों की उत्पत्ति
बारह अहोरात्र अधिक ८८००० वर्ष तक यावत् गमनागमन करता है । इसी प्रकार उपयोगपूर्वक संवेध भी कहना चाहिए । १ से ९ ।
१७ प्रश्न - जइ वाउक्काइए हिंतो० ? १७ उत्तर - वाउक्काइयाण वि एवं चेव णव गमगा जहेव ते काइयाणं । वरं पडागासंठिया पण्णत्ता । संवेहो वाससहस्से हिं काव्वो । तइयगमए कालादेसेणं जहण्णेणं बावीसं वाससहस्सा ई. अंतमुहुत्तमम्भहियाई, उक्कोसेणं एगं वाससयसहस्सं । एवं संवेहो उवजुजिऊण भाणियव्वो ।
३०७७
भावार्थ - १७ प्रश्न - यदि वे वायुकायिक जीवों से आते हैं, तो ?
१७ उत्तर - तेजस्काय के समान नौ ही गमक जानने चाहिये । वायुकाय का संस्थान पताका के आकार का होता है । संवेध हजारों वर्षों से करना चाहिये । तीसरे गमक में काल की अपेक्षा जघन्य अन्तर्मुहूर्त अधिक बाईस हजार वर्ष और उत्कृष्ट एक लाख वर्ष । इस प्रकार उपयोगपूर्वक संवेध जानना चाहिये ।
१८ प्रश्न- जइ वणस्सइकाइएहिंतो उववज्जंति० ?
१८ उत्तर - वणस्सइकाइयाणं आउकाइयगमगसरिसा णव गमगा भाणियव्वा । णवरं णाणासंठिया । सरीरोगाहणा- पढमएसु पच्छिल्लएसु यतिसुगमपसु जहणणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं, उक्कोसेणं साइरेगं जोयणसहस्सं, मज्झिल्लएसु तिसु तहेव जहा पुढविकाइयाणं । संदेहो ठिई य जाणियव्वा । तहयगमे कालादेसेणं जहणेणं बाबीसं
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org