________________
भगवती सूत्र - २४ उ. १२ पृथ्वीकायिक जीवों की उत्पत्ति ३०७३
इस प्रकार यह पृथ्वीकायिक जीव का पृथ्वीकायिक जीवों में उत्पत्ति का कथन हुआ । अब आगे अप्कायिक जीव की उत्पत्ति का कथन किया जायगा ।
१४ प्रश्न - जइ आउक्काइयए गिंदियतिरिक्खजोणिए हिंतो उववज्जंति किं सुहमआउ, बादरआउ० ?
१४ उत्तर - एवं चकओ भेदो भाणियव्वो जहा पुढविकाइयाणं ।
भावार्थ - १४ प्रश्न- यदि वह पृथ्वीकायिक जीव, अपकायिक एकेन्द्रिय तियंच से आता है, तो क्या सूक्ष्म से आता है या बादर अकायिक तिर्यंचयोनिक
१४ उत्तर - पृथ्वीकायिक के समान ही यहां भी सूक्ष्म, वादर, पर्याप्त और अपर्याप्त ये चार भेद जानने चाहिये ।
१५ प्रश्न - आउकाइए णं भंते ! जे भविए पुढविकाइएस उववज्जित्तए से णं भंते! केवइयका लट्टिईएस उववज्जेज्जा ?
१५ उत्तर - गोयभा ! जहणेणं अंतोमुहुत्तट्टिईएसु, उक्कोसेणं बावीसं वाससहस्सट्टिएस उववजेज्जा । एवं पुढविकाइयगमगसरिसा व गमगा भाणियव्वा ९ । णवरं थिबुगविंदुसंठिए । ठिई जहणणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं सत्त वाससहस्साई | एवं अणुबंधो वि । एवं तिसु विगमपसु । ठिई संवेहो तइयछटुसत्तममणवमगमेसु-भवादेसेणं जहणणं दो भवग्गहणाई, उक्कोसेणं अट्ठ भवग्गहणाई सेसेसु
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org