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भगवती सूत्र-श. २४ उ. ३ नागकुमारी का उपपात
भावार्थ-७-यदि वह जीव उत्कृष्ट काल की स्थिति वाले नागकुमारों में उत्पन्न हो, तो उसके लिये भी यही वक्तव्यता कहनी चाहिये। स्थिति जघन्य देशोन दो पल्योपम और उत्कृष्ट तीन पल्योपम । शेष पूर्ववत्, यावत् भवादेश तक । काल की अपेक्षा जघन्य देशोन चार पल्योपम और उत्कृष्ट देशोन पांच पल्योपम तक यावत् गमनागमन करता है । ३ ।
८-सो चेव अप्पणा जहण्णकालटिईओ जाओ, तस्स वि तिसु. वि गमएसु जहेव असुरकुमारेसु उववजमाणस्स जहण्णकालट्ठिईयस्स तहेव गिरवसेसं ६।
भावार्थ-८-यदि वह जीव स्वयं जघन्य काल की स्थिति वाला हो, तो उसके भी तीनों गमकों में असुरकुमारों में उत्पन्न, जघन्य काल की स्थिति वाले असंख्यात वर्ष की आयुष्य के तिर्यंच के समान जानना चाहिये ४-५-६ ।
___ ९-सो चेव अप्पणा उक्कोसकालढिईओ जाओ, तस्स वि तहेव तिण्णि गमगा जहा असुरकुमारेसु उपवजमाणस्स । णवरं णागकुमारट्ठिई संवेहं च जाणेजा सेसं तं चेव ७-८-९ ।
भावार्थ-९-यदि वह स्वयं उत्कृष्ट काल की स्थिति वाला हो, तो उसके विषय में भी असुरकुमारों में उत्पन्न होने वाले तिर्यंच योनिक के समान तीनों गमक तथा स्थिति और संवेध नागकुमारों का, शेष पूर्ववत् ७-८-९।
१० प्रश्न-जइ संखेज-वासाउय-सण्णि-पांचिंदिय० . जाव किं पजनसंखेजवासाउय०, अपजत्तसंखेज० १ .
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