________________
भगवती सूत्र - २४ उ. १ मंजी तियंत्र का नरकोपपात
५८ प्रश्न - तेसि णं भंते! जीवाणं सरीरगा किं संठिया पण्णत्ता ? ५८ उत्तर - गोयमा ! छव्विसंठिया पण्णत्ता, तं जहा - समचउ रंसा, णिग्गोहा जाव हुंडा ।
भावार्थ - ५८ प्रश्न - हे भगवन् ! उनके शरीर संस्थान कितने हैं ? ५८ उत्तर - हे गौतम ! छहों संस्थान होते हैं । यथा - समचतुरस्र, न्यग्रोधपरिमण्डल यावत् हुण्डक संस्थान ।
५९ प्रश्न - तेसि णं भंते! जीवाणं कड़ लेस्साओ पण्णत्ताओ ? ५९ उत्तर - गोयमा ! छल्लेसाओ पण्णत्ताओ । तं जहा - कण्ह लेस्सा जाव सुकलेस्मा । दिट्टी तिविहा वि । तिष्णि णाणा तिष्णि अण्णाणा भयणाए । जोगो तिविहो वि । सेसं जहा असण्णीणं जाव अणुबंधो | णवरं पंच समुग्धाया आदिल्लगा । वेदो तिविहो वि. अवसेसं तं चैव जाव
३००५
भावार्थ - ५९ प्रश्न - हे भगवन् ! उन जीवों के लेश्याएँ कितनी होती हैं ? ५९ उत्तर - हे गौतम! उनके छहों लेश्याएँ होती हैं । यथा - कृष्ण-लेश्या यावत् शुक्ल-लेश्या । दृष्टियाँ तीन, ज्ञान तीन, अज्ञान तीन भजना (विकल्प) से होते हैं। योग तीनों होते हैं। शेष सब यावत् अनुबन्ध तक असंज्ञी के समान, किंतु समुद्घात प्रथम के पांच होते हैं और वेद तीनों होते हैं। शेष पूर्ववत् । यावत्
६० प्रश्न - से णं भंते! पज्जत्तसंखेज्जवासाज्य० जाव तिरिक्खजोणिए रयणप्पभा० जाव करेज्जा ?
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org