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भगवती सूत्र-ग. २४ उ. १ संनी तिर्यंच का नरकोपपात
कालं जाव करेजा ४।
भावार्थ-६५ प्रश्न-हे भगवन् ! वे जीव एक समय में कितने उत्पन्न होते हैं, इत्यादि प्रश्न ।
६५ उत्तर-हे गौतम ! प्रथम गमक के समान सारी वक्तव्यता जाननी चाहिये, किंतु इन आठ विषयों में विशेषता है । यथा-१-शरीर की अवगाहना जघन्य अंगुल के असंख्यातवें भाग और उकृष्ट धनुषपृथक्त्व (दो धनुष से ९ धनुष तक) होती है । २-उनमें प्रथम की तीन लेश्याएँ होती हैं । ३-वे सम्यग्दृष्टि या मिश्र-दृष्टि नहीं होते, एक मिथ्यादृष्टि ही होते हैं । ४-वे ज्ञानी नहीं, नियम से दो अज्ञान वाले होते हैं । ५-उनमें प्रथम को तीन समुद्घात होती हैं। ६-आयुष्य ७-अध्यवसाय और ८-अनुबन्ध, असंज्ञी के समान होता है, शेष सब प्रथम गमक के समान है, यावत् काल को अपेक्षा जघन्य अन्तर्मुहूर्त अधिक दस हजार वर्ष और उत्कृष्ट चार अन्तर्मुहूर्त अधिक चार सागरोपम काल तक यावत् गमनागमन करता है ४ ।
. ६६ प्रश्न सो चेव जहण्णकालदिईएसु उववण्णो जहण्णेणं दसवाससहस्सटिईएम, उकोसेण वि दसवाससहस्सटिईएसु उववजेजा। ते णं भंते !..
६६ उत्तर-एवं सो चेव चउत्थो गमओ णिरवसेसो भाणियव्वो जाव कालादेसेणं जहण्णण दसवासमहस्साई अंतोमुहुत्तमभहियाई, उक्कोसेणं चत्तालीसं वाससहस्साई चउहि अंतोमुहुत्तेहिं अमहियाई, एवइयं जाव करेजा ५।
भावार्थ-६६ प्रश्न-हे भगवन् ! जघन्य स्थिति वाला पर्याप्त संख्येयवर्षायुष्क संज्ञी पंचेंद्रिय तिर्यंच-योनिक जीव, रत्नप्रभा में जघन्य स्थिति वाले नरयिकों में
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