________________
भगवती सूत्र-श. २४ उ. १ मनुष्यों का नरकोपपात
३०२५
____ भावार्थ-८९ प्रश्न-हे भगवन् ! यदि वह संख्यात वर्ष की आयुष्य वाले संजो मनुष्यों से आता है, तो क्या पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयुष्य वाले संज्ञी मनुष्यों से आता है या अपर्याप्त से ?
८९ उत्तर-हे गौतम ! वह पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयुष्य वाले संज्ञी मनुष्यों से आता है, अपर्याप्त संख्यात वर्ष की आयुष्य वाले संज्ञो मनुष्यों से नहीं।
९० प्रश्न-पजत्तसंखेन्जवासाउयसण्णिमणुस्से गं भंते ! जे भविए णेरइएसु उववजित्तए से णं भंते ! कहसु पुढवीसु उववज्जेजा ?
९० उत्तर-गोयमा ! सत्तसु पुढवीसु उववज्जेजा, तं जहारयणप्पभाए जाव अहेसत्तमाए ।
भावार्थ-९० प्रश्न-हे भगवन् ! संख्यात वर्ष की आयुष्य वाला पर्याप्त संजो मनुष्य, नैरयिकों में उत्पन्न हो, तो कितनी नरक पृथ्वियों में उत्पन्न होता है ?..
९० उत्तर-हे गौतम ! वह सातों ही नरक पृथ्वियों में उत्पन्न होता है । यथा-रत्नप्रभा यावत् अधःसप्तम नरक-पृथ्वी में ।
९१ प्रश्न-पजत्तसंखेजवासाउयसण्णिमणुस्से णं भंते ! जे भविए रयणप्पभाए पुढवीए णेरइएसु उववजित्तए से णं भंते ! केवइकाललिइएसु उववज्जेजा ? ___९१ उत्तर-गोयमा ! जहण्णेणं दसवाससहस्सट्टिईएसु, उक्को. सेणं सागरोवमट्टिईएसु उववज्जेजा।
भावार्थ-९१ प्रश्न-हे भगवन् ! संख्यात वर्ष की आयुष्य वाला पर्याप्त संज्ञी
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org